सोनाखान के हीरा बेटा
सोनाखान जमींदार रहय तैं, नाम रहय वीरनारायन।
परजा मन के पालन करके, करत रहय तैं सासन।।
इखरे सेवा मा बित गे जिनगी, अउ बितगे तोर जवानी।
सोनाखान के हीरा बेटा, तैं होगे अमर के बलिदानी।।
परिस अकाल राज मा तब ले, चलय न सकिस गुजारा।
सबके मुख मा तहिं रहय, अउ तहिं उखर सहारा।।
भरे गोदाम अनाज बांट के लिख देय नवा कहानी।
सोनाखान के हीरा बेटा, तैं होगे अमर के बलिदानी।।
सब के खातिर जेल गये तैं, तभो ले हिम्मत दिखाये।
जेल ले भाग के रणभुइंया मा फेर लड़े बर आये।।
राज के पहिली षहीद कहाये, जब होइस तोर कुरबानी।
सोनाखान के हीरा बेटा, तैं होगे अमर के बलिदानी।।
अंगरेजन संग लोहा लेके, होगे अमर तोर नाम।
सोनाखान संग ये दुनिया मा, बन गे तोर पहिचान।।
वीर के तैं उपाधि पाके, लिख देय नवा कहानी।
सोनाखान के हीरा बेटा, तैं होगे अमर के बलिदानी।।
अमित कुमार
गाड़ाघाट, पाण्डुका गरियाबंद