बड़े बिहनिया उठ जा संगी
खेत हमर बुलावत हे,
पाके हावय धान के बाली
महर महर महकावत हे।
टप टप टपके तोर पसीना
माथा ले चुचवावत हे,
तोर मेहनत ले देखा संगी
कई झन जेवन पावत हे।
ये धरती ह हमर गिंया
सबके महतारी ये
कोरा म रखके सब ल पोषय
एहि हमर जिंदगानी ये।
अपन करम ले सरग बनाबो
माटी हमर चिन्हारी ये
बड़े भाग ले जन्म मिलिस
छत्तीसगढ़ महतारी ये।
अविनाश तिवारी