सियान मन के सीख ला माने म ही भलाई हे। तइहा के सियान मन कहय-बेटा! ए जिनगी के का भरोसा रे। फेर संगवारी हो हमन उॅखर बात ला बने ढंग ले समझ नई पाएन। लइकई उमर से ले के सियानी अवस्था तक मनखे के रूप रंग हर अतेक बदलथे जेखर कल्पना नई करे जा सकय। केवल रूप रंग भर बदलथे अइसे नई हे समय हर घलाव बदलत रहिथे अउ समय के अनुसार हमर बानी बिचार हर घलाव बदलत रहिथे।
अइसे मा कहे जा सकथे के समय के घलाव कोनो भरोसा नई हे। फेर हमर सियान मन कहिथे जिनगी के का भरोसा उॅखर कहना सही हरय काबर के समय तो अपन गति ले चलते रही फेर हमन समय के संगे-संग चले सकबो के नहीं तेखर कोनो भरोसा नई हे। जब लइकई उमर रहिथे तब समझ नई रहय, जब खून गरम रहिथे तब होश नई रहय अउ जब सियानी अवस्था आथे तब शरीर में ताकत नई रहय यहू हर अड़बड़ सोचे के बात हरय।
जउन घड़ी म हमर तन म सोंच, समझ अउ ताकत तीनो रइथे तउन घड़ी के हमन ला सदुपयोग कर लेना चाही काबर के मानुष तन अनमोल हावय अउ ए अवसर हमन ला बार-बार मिलय अइसे घलाव जरूरी नई हे। बेरा हर कोनो ला नई अगोरय। हमीं मन ला बेरा ला अगोरे बर पर परथे।
आज हमर तिर जतेक ताकत हावय तेखर उपयोग हम आजे कर सकत हन। अगर आज हम ए ताकत के उपयोग नई करबो तब ए हर बेकार हो जाही अउ ए ताकत के उपयोग हम कल नई करे सकन यहू हर अड़बड़ सोचे के बात हरय। बीते समय फेर लहुट के नई आवय यहू हर खच्चित बात आय तब हमन ला अपन जिनगी के हर एक पल के सहीं उपयोग कर लेना चाही जब तक हमर हाथ-गोड़ चलत हे तब तक।
हमन अपन शरीर के कतको जतन करन फेर एक न एक दिन ए तन हर अपन ताकत ला खो दिही। सब दिन जांगर एक बरोबर नई चलय। देखते-देखत उमर पहा जाथे, पते नई चलय के कब सियानी अवस्था आ गे। अब तो मनखे के उमर घलाव घटत जात हवै। तइहा के सियान मन 100 बछर तक सुखी जीवन जी लेवत रहिन हे। अब तो चालीस पार करे के बाद सोचे ला परत हे के हमन स्वस्थ हावन के नहीं। ए जम्मों बात के एके अर्थ होथे के जिनगी के कोनो भरोसा नई हे। एखरे सेती हमन ला जियत भर अपन जिनगी ला भरपूर जिये के प्रयास करना चाही। सियान बिना धियान नई होवय। तभे तो उॅखर सीख ला गठिया के धरे म ही भलाई हे। सियान मन के सीख ला माने म ही भलाई हे।
रश्मि रामेश्वर गुप्ता