गाँव में सरपंच घर ओकर बड़े लईका के बिहाव में तेल हरदी चढ़त रहीस हे, सगा सोदर सब आय घर अंगना गदबदावत रिहीस फेर ओकर छोटे बाबू श्यामू ह दिमाग के थोरकिन कमजोरहा रिहीस पच्चीस साल के होगे रिहीस तभो ले नानकुन लईका मन असन जिद करत रिहीस I ओहा बिहाव के मायने का होते उहूँ नीं जानत रिहीस, तभो ले अपन बड़े भैय्या ल देखके ओकरे असन मोरो बिहा करव कईके अपन दाई ल काहत रहय I सहीच में मंद बुद्धि के मनखे ले देखबे अउ ओकर गोठ ल सुनबे ते सोगसोगावन लागथे I
दाई ओ महूँ ल हरदी लगादे,
तेल चघा के मंऊरे पिहना के
महूँ ल दूलहा बना दे I
दाई ओ ऐदे मोरो बिहा करादे I
बाजा लगा दे मोटर ल सजा दे,
भैय्या असन कुरता पेंट पिहना दे I
ददा ल कहिदे बरतिया सन जायबर,
दीदी करा मोरो मंऊर सौंपा दे I
जाबो बरात लाबो दुलहनियां,
नाचबो गाबो सरी मंझनिया I
कोंदा ल नचाबो लेड़गा ल नचाबो,
लाड़ू ल मारके लाड़ू ल ढूलाबो I
बांध के गठरी सोंहारी ल लाबो,
बरा अऊ भजिया के रार मचाबो I
दाई ओ ऐदे मोरों बिहा करा दे
थोरकिन फूफा ल घोड़ी बनादे I
विजेन्द्र वर्मा अनजान
नगरगाँव (जिला –रायपुर)
बहुत बढ़िया रचना बधाई हो