कोइली के गुरतुरबोली मैना के मीठी बोली
जीवरा ल बान मारे रेे …
गिरे ल पानी चूहे ल ओइरछा,
तोर मया म मयारू मारथे मूरछा ।
जीवरा ल बान मारे रै …
गोंदा के फूल बूंभर कांटा रे
तोर सुख-दुख म हे मोरो बांटा रे।
जीवरा ल बान मारे रे …
पीरा के ओर न पीरा के छोर
तोर दरस बर संगी मन कल्पथे मोर
जीवरा ल बान मारे रे … ।
दुखिया बाई, टिकरी पारा (गंडई ) राजनादगाव से प्राप्त।