इही ल कहिथे मितानी संगी
बनथे जउन ह छानी संगी।
दुख के घड़ी म आँसू पोंछय
ओकर गजब कहानी संगी।
अनीत-रद्दा म जब हम रेंगन
कहिथे करु-करु बानी संगी।
झन राहय टुटहा कुरिया फेर
राहय गजब सुभिमानी संगी।
जिनगी म कतको बिपत आये
करय झन ओ नदानी संगी।
बलदाऊ राम साहू
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