भारत के आजादी मा गणेश भगवान
अइसे तो भगवान गणेश के पूजा आदिकाल से होवत आत हे।कोनो भी पूजा, तिहार बार के शुरुआत गणेश के पूजा ले होथय।सनातन अउ हिन्दू रीति रिवाज मा गणेश ला प्रथम पूज्य माने गय हे। गौरी गणेश के पूजा बिन कोनो पूजा ला सफल नइ माने जाय। हमर देश मा सबले जादा गणेश पूजा महाराष्ट्र प्रांत मा होथय। इहा हर घर,हर जाति धरम के मनखे गणेश मा आस्था राख के पूजा पाठ करथे।
गणेश पूजा ला धार्मिक परब ले राष्ट्रीय परब बनाय के श्रेय हमर देश के आजादी बर लड़इया पुरखा बालगंगाधर तिलक ला जाथे।बच्छर 1893 मा जब आजादी के लड़ाई बर सबो कति ले अंग्रेज मन के बिरोध होय लगिस तब अंग्रेज मन हमर मुखिया मन के बइठका उपर रोक लगा दिन। तब एखर तोड़ निकाले बर बालगंगाधर तिलक जी हा एक उदिम करिन। जौन गणेश पूजा घर घर मा होत रहिन ओला समाज के बीच मा लाके जन सहयोग अउ जन संगठन के परब बनाके नवा दिशा देइन।
गणेश पंडाल मा होवइया देसहा गीत संगीत नाचा पेखन मा जा जा के भारत के आजादी बर लोगन मन कर अपन बिचार ला रखँय अउ लोगन ला जगावँय।आजादी आंदोलन मा जोड़य।अंग्रेज मन एला समझ नइ सकय। न एला रोक सकय न एला होवन दे सकय। एखर फायदा ये होइस कि आजादी पाय बर कहाँ -कहाँ कइसे-कइसे उदिम चलत हे सब लोगन ला जनाकारी हो जावय। आखिर मा 1947 मा विध्नहर्ता संकटमोचक के किरपा ले देश आजाद होइस।
वो बखत ले शुरू होय परंपरा आज ले पूरा चलत भारत मा चलत हे।अब जतका उछाह ले महाराष्ट्र में गणेश पूजा होथे ओतका उछाह ले छत्तीसगढ़ अउ सबो प्रांत मा होवत हे।फेर अब जौन उद्देश्य ला धर के ये उदिम चले रहिस वो टूटत हे। देश मा एका होय ला छोड़ गाँव-गाँव, पारा-पारा, हा कुटी कुटी होवत हे। सब कर पइसा , राजनीतिक ताकत, होय के गुमान हे। एक गाँव मा चार पारा मा पाँच जगा गणेश बइठारत हे।चंदा उघात हे, दूसर पंडाल ले अपन ला जादा अच्छा देखाय मा लगे हे। माँहगी-माँहगी नाचा पेखन , सजावट, अउ देखावापन गणेश पूजा के अंग हो गे हावय। करोड़ो रुपया जौन गाँव के विकास मा लगतीस वो दिखावापन के भेंट चढ़त हे। कहा बालगंगाधर तिलक हा एकक मनखे ला जोड़े के उदिम बर गणेश परब सिखाइस।आजादी मिले पाछू ओखर सपना ला उलटा करत हावन। गणेश महराज कब किरपा करहीं अउ पारा- पारा मा बिगरे गाँव सहर के पँडाल तिलक के सपना ला सच करहीं।
हीरालाल गुरुजी “समय”
छुरा, जिला-गरियाबंद
Bharat Ki Aajadi Aur Ganesh