Harishankar Gajanan Prasad Dewangan
- व्यंग्य : बड़का कोन
- मोर तिर बोट हे ...
- व्यंग्य : बड़का कोन
- नानकिन किस्सा : अमर
- मुद्दा के ताबीज
- बियंग: ये दुनिया की रस्म है, इसे मुहब्बत न समझ लेना
- रखवारी
- अवइया चुनाव के नावा घोसना पत्र
- लोकतंत्र के आत्मकथा
- मोर गांव म कब आबे लोकतंत्र
- बियंग: निरदोस रहे के सजा
- बियंग : करजा के परकार
- बियंग: करजा माफी
- लघु कथा - सोज अंगुरी के घींव
- भूख के जात
- रासन कारड
- कोउ नृप होउ, हमहि ...
- चरनदास चोर
- अग्यातवास
- माफी के किम्मत
- कब बबा मरही ..... कब बरा खाबो
- चुनावी व्यंग्य : योग्यता
- चुनावी व्यंग्य : बूता के अपग्रेडेसन
- चुनावी लघुकथा : बुरा न मानो ...... तिहार हे
- चुनावी कथा : कंठ म जहर
- बरतिया बर पतरी निही, बजनिया बर थारी
- चुनावी घोसना पत्र
- चुनाव आयोग म भगवान
- योग्यता
- बड़का कोन
- माफी के किम्मत
- व्यंग्य : पहिचान
- लघुकथा : अमर
- व्यंग्य : जनता गाय
- मोर गांव म कब आबे लोकतंत्र
- परजातंत्र
- कागज के महल
- चुनाव आयोग म भगवान : व्यंग्य
- मन के बात
- खतरनाक गेम
- पथरा के मोल
- सबले बढ़िया – छत्तीसगढ़िया
- पोल खोल
- बोनस के फर
- व्यंग्य : रोटी सेंकन मय चलेंव.........
- व्यंग्य : कब मरही रावन ?
- गनेस के पेट
- कइसे झंडा फहरही ?
- आऊटसोरसिंग
- सोलह सिनगार
- ररुहा सपनाये …….
- अपन अपन रुख
- जुग जुग पियव
- सवच्छ भारत अभियान
- व्यंग्य : नावा खोज
- व्यंग्य : पनही
- कहानी : कलम
- नौ हाथ लुगरा पहिरे तभो ले देंहे उघरा
- खूंटा म साख निही, गेरवा के का ठिकाना
- बियंग: अच्छे दिन
- बियंग: रूपिया के पीरा