युवराज वर्मातोर बोली कोयली जइसन हेछत्तीसगढ़ी प्रेम गीतजेठ के कुहरअकती तिहारपानी हे जिंदगानीबेटी ल बचाबोबुढ़वा लइका पांव पखारत हे तोरप्रेम रंगजय छत्तीसगढ़ महतारीअतेक झन तरसा रे बदरा।