मोर संगे गा ले संगी
मोर संगे गा।
राग तैं मिला ले संगी
राग तैं मिला।।
आमा कर बीरो
लीम कर मुखारी
लकरा कर चटनी
चीला सोहारी
मोर संगे खा ले संगी
मोर संग खा।।
जटंगी कर फूल
मुनगा कर पाना
उरदा कर दार।
डॉड़का सयाना
मोर संग जगा ले संगी
मोर संग जगा
रेड़ अउ कन्हर
मोरन महान
हसेदव गागर
गलफूला जान
मोर संगे नहा ले संगी
मोर संगे नहा।।
लहसून जमीरा
सामरी कर पाट
सरई तेंदू
महुआ अउर बांस
आमा कटहर
हर्रा परास
मोर संग पा ले संगी
मोर संगे पा।।
दाई महमाई
कुदरगढ़ धाम
डीपाडीह रामगढ़
बहुतेच सरनाम
मोर संगे आले संगी
मोर संगे आ।
पुरूब कती देख
सुग्धर हे लाली
उगत हे सूरूज
जइसे कि माली
आख तेैं मिलाले संगी
आँख तैं मिला।।
करिया हे बादर
फरिच हवे पानी ह
तलवा अउ नरवा कर
चाल मस्तानी
भाग तैं जगा ले संगी
भाग तैं जगा।।
सरगुजा भुईयाँ कर
सरगुजिहा बोली
गुरतुर हवे अड़बड़
मिसरी कर डेली
मोर संग अपना ले संगी
मोर संग अपना।।
मोर संगे गा ले संगी
मोर संगे गा।
राग तैं मिला ले संगी
राग तैं मिला।।
- बी. डी. लाल
सेवा निवृत प्राचार्य
भगवानपुर, अम्बिकापुर
जिला-सरगुजा (छ.ग.)