अरे गोई झमकत पानी भरल जवानी
ऊपर करिया रात
गोई रे, ऊपर करिया रात।।
भेदी पइरी बोले बइरी मानत नह है बात
गोरी रे, मानत नइ है बात।
आंखी में आंजे हों जेला कर डारिस गा घात
गोई रे, कर डारिस गा घात।
दे के पीरा लूटिस हीरा बइठे हों पछतात
गोई रे, बइठे हों पछतात।
पानी बिन मछरी अस चोला है आंखी झरियात
गोई रे, है आंखी झरियात
मरत पियासे हैं संगी मन हैं देखत बरसात
गोई रे, है देखत बरसात।
लागत है हिरदे सुरता में जइसे टूटल पात
गोई रे, जइसे टूटल पात।
करके प्रीत बिसर जाथे गा रसिक मरद कर जात
गोई रे, रसिक मरद कर जात।।
– रामप्यारे- रसिक