सरगुजिहा गीत- दिन कर फेर

देखा रे भाई कइसन दिन कर फेर।
रात कभों दुख ले के आथे कभों उगत है बेर।।
तीन लोक कर जे स्वामी गा राज-पाट सब छोड़िन।
भाग बली गा उघरा पावें बन ले नाता जोड़िन।
संग चलिन सीता माता गा है कइसन अन्धेर।।
देखा रे भाई ………………..

जे सिरजिस संसार कहत हैं केंवटा पार उतारे।
गंगा पर करे बर जोहें भवसागर जे तारे।
जेकर बस में चांद सुरूज गा कहथें होत अबेर।।
देखा रे भाई ……………

काया-माया जेकर बस गो जे धरती ला धारे।
सोन मिरग कर पाछू कूदिन बिन समझे गा मारे।
कन्दा खाइन कुसा बिछाइन जेकर दास कुबेर।।
देखा रे भाई ………………..

रहे नहीं दिन एक नियर गा दुख-सुख दूनों आथें।
जेकर करतब अच्छा होथे ते अच्छा फल पाथें।
रसिक उठा दे डसना ला रे होवत देख सबेर ।।
देखा रे भाई ……………..

रामप्यारे- रसिक

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