ढेरेच्च गुमान भरल, मनखे कर जात ।
तेकर सेथी बिगडिस, मनखे कर जात ।।
धरती कर रेंगइया, तरई ला माँगे। ।
चलनी मा पानी भरे, मनखे कर जात।।
नदिया ला दाई कहे, चन्दा ला मामा।
दूनों कर नास करिस, मनखे कर जात।।
सूते घनी जागत, जागत घनी सूते।
रात-दिन कलथत हे मनखे कर जात।।
चलती ला गाडी, जीते ला हार। ।
अइनसेच बुध राखथे, मनखे कर जात।।
गजल ला गइहा करीहा आगू बिचार ।
कहथे सुबासनी सुना मनखे कर जात।।
– सुबासनी शर्मा