हिन्दी के स्वाधीनता अऊ स्वावलम्बन सब्द मन के बीच म गाढ़ा सम्बन्ध हवय, ए दूनो सब्द के मूर्तिमान रूप पं. शुकलाल प्रसाद पाण्डेय छत्तीसगढ़ी भाषा साहित्य के दूसर मजबूत खंभा आये जिंकर रचना कर्म के कारन गंवारू समझे जाने वाला छत्तीसगढ़ी बोली ल भासा के रूप म विकसित होय के ठोस अधार मिलिस, दिनों-दिन वोकर सम्मान म बढ़ोत्तरी होयम जमाना लगीस। आज तो जमाना बदल गय हे, हमर ये ही सुतंत्र चेता कवि मनीसी मन के रोपे बिरवा हर महाबट याने छत्तीसगढ़ी राज भासा के सरूप धारन करके फूले .फरे लगे हे, गैर छत्तीसगढ़ी राजनेता, अफसर अउ धनकुबेर मन भी अब छत्तीसगढ़ी ल सम्मान देहे लगे हैं | कई झन तो छत्तीसगढ़ी सीखत हें त कई झिन सीख के फटाफट छत्तीसगढ़ी म गोठ बात करत हें। सरकारी कार्यालय ले लेके विधानसभा तक छत्तीसगढ़ी भासा के गूंज सुनाई देत हवै, लगथे ये हूं हर राजभासा के सिंहासन म बइठीच जा ही (अउ सही म बइठीच गइस) काबर के छत्तीसगढ़ के पहिली सरकार हर ये बात के लिए सक्रिय हो गए रहिस॑ फेर हम ए बिसे म जल्दबाजी या जबरजस्ती नई करना चाहत हन। एकर लिए कवि-लेखक अउ पत्रकार मन ला संकल्प लेके छत्तीसगढ़ी ल सोच के भासा बनाना परही। ये नहीं के अंग्रेजी म सोचौ अठ छत्तीसगढ़ी म लिखौ। लिखा-पढ़ी के काम सरकार करै। कवि लेखक मन सावधान…
छत्तीसगढ़ी काव्य के कुछ महत्वपूर्ण कवि: डॉ. बलदेव
लेखक / संपादक के पुत्र के द्वारा कन्टेट प्रकाशित करने के लिए कहा गया था उसके उपरांत उन्हीं के द्वारा कन्टेंट हटाने के अनुरोध पर किताब की पीडीएफ प्रति हटा दी गई है।