एक-एक ईंटा, एक-एक पथरा, रेती-सीमेंट अउ बड़ अकन मकान बनाए के जीनीस ले मिस्री ह एक सुग्घर मकान, भवन, महल के निर्माण करथे। ठीक वइसने एक फिलीम के निरमान म नान-नान जीनीस अउ कई झन व्यक्ति के सहयोग ले होथे। फिलीम म बाल कलाकर मन के भूमिका ल घलो छोड़े नई जा सकय। चाहे वो फिलीम मुंबइया हो, बंगाली हो, दक्षिण भारतीय हो उड़िया हो या फेर हमर छत्तीसगढ़िया हो। छत्तीसगढ़िया फिलीम के बाल कलाकार ले मोर भेंट होईस त मोला लागिस कि छत्तीसगढिया फिलीम घलो बाल कलाकार के बिना अधूरा है। फिलीम ‘महूं दीवाना तहूं दीवाना’ के टीम के साथ मंच हा भेंट करेंव त वो फिलीम के बाल कलाकार आयूष चतुर्वेदी के जोश ल देख के मैं समझगेंव कि छत्तीसगढ़ के लइका मन घलो प्रतिभा के मोहताज नईहे। मैं ये दावा के संगे कहि सकथंव कि कोनो वो लइका हा ये कला के साधना म लगे रही त निश्चित रूप से छत्तीसगढ़ी फिलीम म अपन सुग्घर भूमिका ले पहचान बनाही। धीरे-धीरे छत्तीसगढ़ी फिलीम उद्योग के रचयिता मन, लेखक मन गीतकार मन छत्तीसगढ़ी बाल फिलीम कोती घलो धियान देके इहां के प्रतिभा मन ला मंच देवयं अउ शासन ल घलो चाही कि अइसन उदिम करइया मन ला सहयोग देवंय। लइका मन के बाल मन म ही कला हा संचरके अउ उही कला हा एक दिन धूम मचा के राज देश के नांव चलाथे। छत्तीसगढ़ी फिलीम एलबम के माध्यम ले कतकोन लइका मन अपन कला के लोहा मनवाए हें। ये बेरा आयूष के पारी हे। ‘महूं दीवाना तहूं दीवानी’ फिलीम ल देख के बाल कलाकार के उत्साहवर्धन करना चाही। कोनों कविमन इंखर मन बर कतक बढ़िया बात कहे हें कि-
का जानही दुनियां ल ये मन, कि इहां कइसन चरित्तर होथे।
लइका मन तो कच्चा माटी अस जेन बनाबे तेन बनथे॥
चम्पेश्वर गोस्वामी