मध्यान्ह भोजन के टेम रीहिस
खाना पकईया ह मोला
सरकारी परसाद ल दे के कहिस
थोर कीन चीख तो गुरूजी
चीखत-चीखत मे ह
अतका खा गेंव
कि ऊही करा कुरसी मा
सुत गेंव।
अचानक बीईओ साहब ह
स्कूल आईस
मोला पढाये के बदला मा
सूते पाईस
ओकर गुस्सा ह
पांवतरी ल छोड़ माथा मा चढ़गीस
मोला झंझकोर के जगाईस
अऊ कहीस
कक्छा मा तोला
थोरको सरम नई आईस
में ह थोरकिन उसनींदा रहेंव
तभो ले साहब ल कहेंव
साहब तें ह मोला गलत झन समझ
में ह लइका मन ला
समझावत रेहें हव
कुंभकरणी नींद कईसे होथे
कुंभकरणी नींद मा आदमी
मोरे कस सोथे!
हरखराम पेंदरिया ‘देहाती’
श्रीराम मंदिर रोड, महासमुन्द
बढिया लागिस जी
Jordar
बढिया बियंग करे हवव देहाती जी, सुघ्घर लागिस