1. मोर गवा गे गांव (रोला छंद)
मोर गवा गे गांव, कहूं देखे हव का गा ।
बइठे कोनो मेर, पहीरे मुड़ी म पागा ।।
खोचे चोंगी कान, गोरसी तापत होही ।
मेझा देवत ताव, देख मटमटवत होही ।।1।।
कहां खदर के छांव, कहां हे पटाव कुरिया ।
ओ परछी रेगांन, कहां हे ठेकी चरिया ।।
मूसर काड़ी मेर, हवय का संगी बहना ।
छरत टोसकत धान, सुनव गा दाई कहना ।।2।।
टोड़ा पहिरे गोड़, बाह मा हे गा बहुटा ।
कनिहा करधन लोर, देख सूतीया टोटा ।।
सुघ्घर खिनवा ढार, कान मा पहिरे होही ।
कोश्टउवां लुगरा छोर, मुडी ला ढाके होही ।।3।।
पिठ्ठुल छू छूवाल, गली का खेलय लईका ।
ओधा बेधा मेर, लुकावत पाछू फईका ।।
चर्रा डुडवा खेल, कहूं का खेलय संगी ।
उघरा उघरा होय, नई तो पहिरे बंडी ।।4।।
कुरिया मोहाटी देख, हवय लोहाटी तारा ।
गे होही गा खेत, सबो झन बांधे भारा ।।
टेड़त संगी कोन, देख बारी मा टेड़ा ।
हवय भाटा पताल, फरे का सुघ्घर केरा ।।5।।
रद्दा रेंगत जात , धरे अंगाकर रोटी ।
धोती घुटना टांग, फिरे का देख कछोटी ।।
पीपर बरगद छांव, ढिले का गढहा गाड़ी ।
करत बइठ आराम, देख गा मोढ़े माड़ी ।।6।।
मोर गवा गे गांव, कहूं देखे हव का गा ।
सबके मया दुलार, टूट गे मयारू धागा ।
वाह रे चकाचैंध, सबो झन देख भुलागे ।
‘रमे’श‘ करत गोहार, गांव ले गांव गवागे ।।7।।
2.छत्तीसगढ् महतारी (कुण्डलियां छंद)
छत्तीसगढ़ महतारी, करव तोर परनाम ।
कतका सुघ्घर तोर रूप, कइसे करव बखान ।।
कइसे करव बखान, मउर सतपुड़ा ह छाजे ।
कनिहा करधन लोर, मकल डोंगरी बिराजे ।।
पैरी साटी गोड, दण्ड़कारण छनकारी ।
कतका सुघ्घर मोर, छत्तीसगढ़ महतारी ।।1।।
छत्तीसगढ़ महतारी, का जस गावन तोर ।
महानदी शिवनाथ के, सुघ्घर कलकल शोर ।।
सुघ्घर कलकल शोर, इंदरावती ह गावे ।
पैरी खारून जोंक, घातेच सुघ्घर भावे ।।
अरपा सोंढुर हाॅफ, हवय सुघ्घर मनिहारी ।
लागय गा बड़ नीक, छत्तीसगढ़ महतारी ।।2।।
छत्तीसगढ़ महतारी, सुघ्घर पावन धाम ।
उत्ती राजीव लोचन, हवय नयनाभिराम ।।
हवय नयनाभिराम, दिषा बुड़ती बम्लाई ।
अम्बे हे भंडार, अम्बिकापुर के दाई ।
देख हवे रकसेल, दंतेसरी महतारी ।
देवय गा असीस, छत्तीसगढ़ महतारी ।।3।।
छत्तीसगढ़ महतारी, तोर कोरा म संत ।
कतका देव देवालय, कतका साधु महंत ।।
कतका साधु महंत, डेरा दामाखेड़ा ।
कबीर निगुर्ण भक्ति, अलख जगाय कर फेरा ।।
साधक हे सतनाम, गिरौधपुरी सुखकारी ।
सबला देवय ज्ञान, छत्तीसगढ़ महतारी ।।4।।
छत्तीसगढ़ महतारी, जस गावन हम तोर ।
आनी बानी गीत ले, जग बगरावन सोर ।।
जग बगरावन सोर, देश दुनिया मा दाई ।
सुवा ददरिया गीत, फाग जस कर्मा भाई ।।
पंथी डंडा नाच, हमर सुघ्घर चिनहारी ।
करे जयकार सबो, छत्तीसगढ़ महतारी ।।5।।
छत्तीसगढ़ महतारी, कतका हवस महान ।
ये कोरा लइका हवे, निचट भोला सुजान ।।
निचट भोला सुजान, कपट छल छिद्र भुलाये ।
मनखे मनखे मान, सबो ला ओमन लुभाये ।।
‘रमेश‘ नवावय माथ, करत हे जी बलिहारी ।
जय हो जय हो तोर, छत्तीसगढ़ महतारी ।।6।।
रमेशकुमार सिंह चौहान