जस भेडिया धसान, धसे मनखे काबर हे ।
छेके परिया गांव, जीव ले तो जांगर हे ।।
नदिया नरवा छेक, करे तै अपने वासा ।
बचे नही गऊठान, वाह रे तोर तमाशा ।
रद्दा गाड़ी रवन, कोलकी होत जात हे ।
अइसन तोरे काम, कोन ला आज भात हे ।।
रोके तोला जेन, ओखरे बर तै दतगे ।
मनखे मनखे कहय, वाह रे तै तो मनखे ।।
दे दूसर ला दोष, दोष अपने दिखय नही ।
दिखय कहूं ता देख, तहूं हस ग दूसर सही ।।
धरम करम के मान, लगे अब पथरा जइसे ।
पथरा के भगवान, देख मनखे हे कइसे ।
–रमेशकुमार सिंह चौहान