छुनुन—छुनुन छन कहिस.
चउमासी कचरा मन धारोधार बोहागे,
मटियाहा पानी मन सुग्घर अब छनागे.
पी लौ ससन भर सब,
गुरतुर कछार कहिस. .. नदिया के धार बहिस
अब नइ बोहाव ग डुबकव हरहिन्छा,
फरी—फरी पानी हे तउंरव छुरछिंदा.
देखव दरपन कस अउ,
मुॅंह ल निहार कहिस. .. नदिया के धार बहिस
उजरा लौ तन ल अउ फरिहा लौ मन ल,
सुस्ता लौ सुरता म खोजव लरकन ल.
जॉंगर ह थक गे हे,
गोड़ ल दव डार कहिस. .. नदिया के धार बहिस
पयरी ला मांजथे, चूंदी ल टांगथे,
ओन्हा निचोवथे, हॅंउला ल मॉंजथे.
लुगरा बोहावत हे,
पखरा ल उघार कहिस. .. नदिया के धार बहिस
गीता ‘नेह’
बालको नगर, कोरबा.
बढिया लिखे हस रे गीता ! मज़ा आ गे ।
अब्बड सुरघर
दीदी