जादू के खेला अब्बड़ परसिध्द है। का लइका, का सियान, का बुढ़वा का जवान अउ का मइलोगन। सब्बो मन ला जादू देखे के बड़ सउक होथे। आजकल तो कोनो जादू के खेला देखे ला नइ मिलय। अइसे लागथ हे के ये खेला हा नंदावत जात हे। जादूगर हा जब अपन खेला ला जनता जनार्दन के आगू पेस करथे, तब ओकर लीला के बरनन कइसन करे जाय। ओकर करतब ला देख-देख के देखइया मन चारों भांवर चित हो जाथे अउ घेरी-बेरी ताली उपर ताली बाजत रहिथे। आगू के जमाना मा ये जादू के खेला ला देखाय बर पश्चिम बंगाल के जब्बर-जब्बर जादूगर जइसे ओ.पी. सरकार, पी.सी. सरकार, जादूगर दास गुप्ता अउ न जाने कतको मन आइन अउ अपन हुनर ला सब्बो ला देखाके बड़ वाह वाही लूटिन। आज भी ए जादू के खेला के आकर्सन कोनो कम नइ होवे हे। एक बार ये खेला के माढ़ा बने के देरी हे, देखइया मन के कोनो कमी नइ हे। चाहे कतनो टिकिस लगय, जादू के खेला ला देखे बर जनता जर्नादन के भारी भीड़ हा सकला जाथे।
मोरो सहर भिलाई मा अब्बड़ दिन-बरस बाद एक ठन जादूगर ओ.पी. शर्मा हा अपन जादू के खेला ला देखाय बर आइस। वोला अपन खेला ला देखावत एक महीना ले जादा होगे हे। भारी हाउसफुल वो कर खेला हा चलत हवय। भारी पइसा कमावत हे, काबर नइ कमाही। अइसन ये जादू के खेला हे दुरलभ। एक दिन मोर नान्हे बहिनी हा अपन दूनो लइका ला धर के हमर घर डहर आइस। ओकर वो दिन छुट्टी रिहिस। वोहा अपन भौजी ल काहन लगिस। ए वो भौजी चलव आज हम सबो झन जादूगर ओ.पी. शर्मा के जादू के खेला ला देखे बर जातेंन। हमूमन ओकर फरमाइस ला सुन के गदगदा गेन काबर हमु मन सोंचेन बड़ दिन अउ बछर होगे हमर तीनों लइका मन ला कोनो जादू के खेला ला नइ देखाय हन। अब तो ए मन हा बाढ़ गे हे। समझदार होगे हे। जादू के खेला के सिरिफ नांव ला सुने हांवय। वासतविक मा कोनो समय आमने-सामने देखे के कोनो मउका नइ मिले हे। सब्बो मन सुनता करेन अउ अपन-अपन गाड़ी मा बइठ के सेक्टर-1 नेहरू सांस्कृतिक भवन आ गेन। इही करीब संझा के 6-7 बजे रिहिस। पेपर अखबार अउ टीवी के लोकल चेनल मा ये जादू के खेला के एडवरटाईज आवत रहय। अपन-अपन गाड़ी ला साइकिल स्टेण्ड मा खड़ा करके टिकिस डाहर गेन। टिकिस के रेट ला पढ़ अउ सुन के हम अपन-अपन मुंह ला फारे ला चालू कर देन। सत्तर, सौ अउ दू सौ रुपया के टिकिस राहेय। हमन सोचे लगेन कोन किलास के टिकिस लेबो। हमन सब्बो झन आठ परानी रेहेन। अब्बड़ सोच-विचार के सौ रुपया के टिकिस ले के उदिम जमायेन।
टिकस खिड़की मा भारी भीड़ राहय। आज ये जादू के खेला के दूसर दिन रिहिस। एक दिन पाछू हमरे विधानसभा अध्यक्ष माननीय प्रेमप्रकाश जी अउ भिलाई नगर पालिका निगम के महापौर विद्यारतन भसीन जी मन उद्धाटन करे रिहिन।
येकर प्रचार-प्रसार घलो अब्बड़ होवत रिहिस। आरूग भिलाई मा हल्ला होगे राहय। दल के दल अपन-अपन परिवार के संग अब्बड़ मनखे मन ये जादू के खेला ला देखेबर आवत राहय। साईकिल स्टैण्ड हा तो साईकिल, मोटर साइकिल अउ कार मोटर के मारे पटागे राहय। नेहरू सांस्कृतिक भवन के बाहिर डहर बड़े-बड़े बोर्ड लगे रहय। झकमिक-झकमिक लाईट मन बरत राहय। अब्बड़ सुग्घर वातावरण होगे राहय। सब झन ला बड़ उत्सुकता राहय, राह तो देखन ये कइसन जादू के खेला आय। हमन अपन परिवार संग आठ परानी टिकस ला ले के अंदर खोली या हाल मा धंधाए बर गेन। टिकस लेवइया हा एक ठन टिकस ला फार के दू ठन कर दिस। एक ठन टुकड़ा ला अपन पास रखिस अउ दूसर टुकड़ा ला हमन ला थमादिस। अपन-अपन टिकस ला हाथ म धरके हमन हाल मा गेन। अंदर अब्बड़ सोर-सराबा होवत रिहिस। सामने स्टेज हा जोरदार सजे राहय। अब्बड़ परदा लगे रहय। लाईट अउ म्यूजिक लिप-लाप करत रहय। हमन अपन एके लाईन के सीट मा बइठ गेन। ये दिन मंगलवार रिहिस। जादूगर हा कानपुर ले आये रिहिस। ओकर साथ भारी तामझाम फटाखा आये रिहिस। अइसन लागे जइसे कोनो देस के राजा हा अपने सेना ला धर के आ गेहे। ओकर दल मा कम से कम दू सौ मनखे मन रहय। अब्बड़ सुग्घर-सुग्घर टुरा अउ टुरी मन हा घलो रहय। सब्बो झन मनहा भारी मेकअप करे रहय। जइसने घड़ी के कांटा हा रतिहा के सात बजाइस। संगीत बाजत राहय ते हा बंद होगे। अउ स्टेज मा रंग-रंग के डिजिटल लाईट, कभू हरियर, कभू पिंवरा, ता कभू लाल ता कभू नीला चमके लागिस। पब्लिक खुस। ये हा खेला सुरु होय के इसारा रहय।
तभे घंटी जोरदार बाजिस अउ लाईट मन हा झिमिर-झामर करन लागिस। जोरदार स्टेज मा लाईट जलिस अउ एक ठन माईक ला धर के जादूगर ओ.पी. शर्मा जूनियर हा स्टेज मा आईस। जनता जनार्दन ला जै जोहार करके अपन परिचय ला बतावन लगिस। ओकर रुपरंग, वेषभूषा, साज-सिंगार हा अइसन लागत रिहिस जानो-मानो कोनो राजा हा अपन परजा के सामने भासन दे बर आये हे। चकाचक ओकर ड्रेस, गला मा मोती के बड़े-बड़े मनका वाले उार माला, कइठिन माला। अपन परिचय अउ मानस दे के बाद अब ओकर जादू के खेला हा चालू होगे। कई ठन करतब दिखान लगिस। सात बजे ले दस बजे तक तीन घंटा ओकर खेला के समय रहय। रंग-रंग के आनी-बानी के जादू के वो खेला ला देखावन लागिस। हमन बड़ मंत्र मुग्ध होके ओकर जादू के खेला ला देखत रहन। अतेक बढ़िया ओकर सब्बो खेला मन रहय कि हर खेला के बाद जम्मो हाल हा ताली के आवाज मा गूंजन लगय। ओ दिन वो हाल मा कम से कम दू हजार जादू के खेल ल देखइया सकलाए रिहिन। स्टेज मा एक के बाद एक परदा हा गिरय अउ नवा-नवा खेल हा चालू हो जावय। ये परदा मन हा घलो रंग-रंग के किसिम-किसिम के लड़की ला बनमानुस बना देना, पिंजरा मा बंद लड़का ला देखत-देखत गायब कर देना, जिंदा हाथी ला स्टेज ले गायब कर देना।
लड़की के सिर अउ धड़ ला अलग-अलग कर देना, स्टेज के ऊपर उठ के भगवान के भजन करना अउ रंग-रंग के अब्बड़ खेल। कब दस बाजीस पता नइ चलिस। खेल खतम, पइसा हजम। मगर ये जादू के जोरदार खेल ला हमन नइ भुलावन।
–अशोक सेमसन
प्लाट नं. ए1बी
आशीष नगर, रिसाली,
भिलाई-दुर्ग (छ.ग.)