कुकुर कटायन

GG Mini Logoरामरमायन तिंहा कुकुर कटायन कहिथे। जिंहा सुभ काम के सुभारंभ होथे उँहे कुकुरमन के पहुँचना जरूरी होथे। कुकुर मन के ए दखलंदाजी ल देखके कभू कभू अइसे भरम होय लगथे के सुभ असुभ कोनो किसिम के काम होवय इंकर बिना असंभो हे। जइसे छट्ठी होवय चाहे मरनी नेता मन के उद्घाटन बिना असंभो होथे। कोनो मेर दू चार झिन मिलके बने बिचार-बिमर्स करत रहिबे। ओतके बेरा कुकुर मन आके झगरा होवत बिचार ल फोर भंगला देथे। बने बने सोचत चुप्पे अपन रस्ता म जावत रहिबे। इन अपने अपन भूंके लगथे। गाड़ी म रहिबे तभो दुरिहा के जावत ले भूँकत दउड़ाथे -जानो मानो जवइया हँ सत्ता पाल्टी के हरे अउ अपन हँ विपक्ष म बइठे हे। जतके भागबे उन ओतके भूँकथे कुदाथे। कहूं अबे चुप्प कहिके दबकार देबे ताहेन झटपट पूछी ल हलावत सुटुर सुटुर रेंगे लगथे। अब येह दुनिया के रीत चलागन होगे हावय । जे मनखे जतके डर्राथे दुनिया ह वोला वोतके डरवाथे भूँकथे कुदाथे चाबथे। छुटभइया पीलवा कुकुर मन के तो बाते झन पूछ। रस्ते रस्ता म होवत रहिथे। तैं सोचते रहिबे वोह उती जाही कहिके अउ वोह उदुप ले आके तोर गाड़ी म झपा जही। ताहेन उल्टा तोंही ल चिचिया के गारी गुप्तार देना सुरू कर देही – कमीना , हरामजादा कोन जनी अउ का का ? कतको सड़क दुरघटना इंकरे सेती होथे। लोगन मन गाड़ी वालन ल दोस देथे। हमार डोकरी दाई कहय-कुकुर बिलई अउ छेरी बछरू ले रस्ता म देखके चलना चाही। मनखे ल उंकर रस्ता नइ काटना चाही। उनमन ल मनखे अउ मनखे के रस्ता दूनो ल काटे के जनमसिध अधिकार होथे। सही बात ल कहय।
एमन पहिली पहिली जीब ल लमाके लपलपावत , टेड़गा पूछी ल सोझियाके हलावत आथे। जनम के सरू अउ भीखमंगा कस बोट बोट देखत दुवारी म खड़ा हो जाथे। वो बेरा इन ल देखके चुनाव के बेरा के सुरता हँ मन म हलोर मारे लगथे। राजपथ के नेवरिया पथिक मन ल दुम हलाये के कला इंकरे ले सिखना चाही। इंकर उपर कहँु तरस खाके एक घँव बासी-रोटी देस ताहेन एमन दुवारी ल छोडबे नइ करय। तैं काँही करले। जइसे फाइदा वाले पद ल पाके मनखे मन नइ छोड़य। इही सुभाव भर म मनखे अउ कुकुर मन के बीच थोरिक फरक पाये जाथे। कुकुर हँ बिना खाये दुवारी ले जाबे नई करय, त मनखे हँ बिना पाँच साल बिताए दुवारी म आबे नइ करय। धियान रहय अभीन जे मनखे के बात होवत हे वोह उँच क्वालिटी के आईएसआई मारकाधारी मनखे के बारे म हे। कहूँ खाय बर नइ दिये त इन बदला ले बर घलो नइ छोड़य। नवा नवा चमकत गाड़ी ल लान के दुवारी म खड़ा कर दे। इन पहिली पानी ओरसे बर तियार खड़े रहिथे। इंकर अवकात तो देख इन सबके सहनसीलता के परीक्छा घलो लेथे। दुवारी म बइठे कुकुर ल दुए चार दिन झिन धुतकार। इस्टाम ल लिखा के लेलव।देख लेहू कहँू के मरी के हाड़ा मास ल लानके बीच मंुहाटी म छोड़ दिही। मनखे तो मनखे इन भगवानो ल नइ छोड़य। कोनो जघा सुघ्घर ले सुघ्घर मुरती के थापना कर दे। चाहे वोह सनिदेव के होवय चाहे गुस्सेलहा संकर के। ल चढ़ाये बर इही मन अघुवा रहिथे। भगवानो हँ खुस होके अवइया जनम म इनला मनखे बना देथे। मनखे अउ कुकुर के सुभाव म एकरे सेती गजब समानता देखे बर मिलथे। पहिली कुकुरमन गजब सुवामीभगत अउ इमानदार होवय। जेह अब लुप्त होय के कगार म खड़े हे। बाँचे -खुँचे सुवामीभगत कुकुर मन के हाईबिरीड तियार होगे हावय। वो मन ला बड़े बड़े कोठी-बंगला म संरक्छित करके राखे गे हे। बढ़त बिरोधी ल डरवाय चाबे गिराय बर छापामारी म इकर उपयोग गजबे करे जाथे। कुकुर दू किसम के होथे- पालतु अउ फालतु। येला हरू अउ गरू घला कहि सकथन। इकर रूप अउ गुन म गजब बिरोधाभास देखे बर मिलथे। भलकि बिरोधाभास ल उल्टनहा सबद कहिबो तभो कोनो अतिबकर नई होही। पालतु कुकुर एकदम हरू होथे फेर पद, पावर, खान-पान-मान सबो म गरू होथे। फालतु कुकुर गरू होथे फेर बाकी सब म हरू होथे। कुकुर कोनो किसम के होवय सबो के अंतरआतमा बरोबर होथे। इरखाहा जीछुट्टा, चापलूस अउ भूँकर्रा। एक कुकुर दूसर कुकुर ल खावत कभू नइ देख सकय। चाहे वोह अपने भाई बाप काबर नइ होजय। जूठा पतरी ल फेंक दे। सबके सब किचकिचावत दउड़ परथे। एक खावत रहिही त दुसर वोला गुर्रावत रहिथे। कभू-कभू झूमा-झटकी घलो होय लगथे।
कोनो कोनो कुकुर हँ बड सिधवा अउ डरपोकना होथे। जब वोला दूसर कुकुर मन घेर के हबके चाबे बर घेरे धरे लगथेे त वोह पूछी ल पीछु कोती छपटाके खुदो छपट जथे। मुड़ी ल थोरिक तिरछा करके जीब ल ओरमा देथे। सबो दाँत ल खबखबले निकाल देथे। जना मना बैरी कुकुर मन ल एको नई बचाही। फेर हुँकय न भूँकय। छपटे-छपटाये, तिरछा ओरमाए, खबखब ले निकाले, रेचका कस एकंगु खड़े देखत भर रहिथे। जादा होथे त बिन धकियाये अपने अपन उलंड-घोलंड जथे। ओतका बेरा वो कुकुर ल देखके अइसे लगथे जना मना कोनो सभा के मनोनीत सदसिया हरे। कुछु करे धरे नइ सकय त आखिर म जघा जघा अपन नकामी ल दबाय छुपाय बर ये बयान देवत घूमथे के राजपाठ हँ मोला रास नइ आइस।
झपटे-खाये दबाय-चाबे के मामला म एमन अपन बीरान नइ चिनहय। कुकुर मन के ये गुन हँ मनखे म डिक्टों म डिक्टों पाये जाथे। मनखे मन के ए आदत हँ परमानित करथे के मनखे हँ मनखे जनम लेय के पहिली कुकुर रहिस होही। कुकुर जोनि ले मनखे जोनि म तुरते ताजा आये रहिथे तेकर पाय के ओला जल्दी कन नइ भूला सकय। तेकर सेती जब मनखे झगरा होथे एक दूसर ल कुकुर कुकुर कहिथे।कभू कभू सुवर घलो कहिथे।कभू कोनो ल उल्लू के पट््ठा काहत सुनथन। एकर मतलब मनखे हँ कुकुर जनम धरे के पहिली सुवर रहिस होही। सुवर के पहिली उल्लू रहिन होही। तेकर सेती उल्लू के पट््ठा बहुतेच कम सुने बर मिलथे। जइसे मनखे मन के पीछु जनम ले जुड़ाव हो जाय रहिथे। तइसे कुकुर मन के आगू जनम ले लगाव हो जाय रहिथे। अइसे मिरीत लोक के जम्मो जिनावर मनखे के सब सुख सुविधा एसो अराम ल देख के मनखेच जनम धरे के साध मरत रहिथे। मोला बड़ इक्छा होइस के मनखे मनखे लड़थे त -तैं कुकुर तैं कुकुर कहिथे। कुकुर-कुकुर लड़त होही त का काहत होही ? ए बात ल जाने खातिर मैं एक दिन घर ले मुड़ म राख डारके निकल गएंव।रेंगें रेंगें मुनसीपाल्टी के कचरा डब्बा तीर जाके खड़े खड़े चुपचाप देखे लगेंव। एक ठिन कुकुर हँ डब्बा म थोथना ल घुसेरेे खवइ म मगन रहय। जइसे आजकाल के मनखे मन बफर सिस्टम म थोथना ल हुबेस के उत्ता धुर्रा बोजते। ओतके बेरा दूसर कुकुर हँ मार किटकिटावत किचकिच किचकिच दउँड़त आइस। पहिली कुकुर संभलगे। दूसर कुकुर आते साथ चमकाइस -अरे सुरा एमा मोरो बाँटा हे। पहिली कुकुर सुराके नाम सुनके सुरा ले अउ आगु वाले जनम म कूददिस। कहिस-आना त रे उल्लू के पट्ठा तँहू खाले। कोन मना करत हावय।
दूसरा कुकुर अपन जघा म खड़े खड़े खुरच-खुरच के कचरा ल खदर बदर खदबदाय लगिस। कहिस-घुच अब। अपन बाँटा ल तैं खा चाँट डरेस। अतका ल मै अकेल्ला खाहँू। पहिली कहिस -हाँ ! ठेंगवा ल खाबे। सुनके दूसर कुकुर भड़कगे-जादा मत लगा। नइ तो मोर मइंता भड़कही त एकात गफ्फा लगा देंहू। पहिली कुकुर घला बने पहँुच वाला रहिस। कान ल टेंड़के चारो गोड़ ल अँड़िया के खड़ा होगे- लेत मार ! लेत मार ‼ लेन मार रे !!! कतका दम वाले हस देख लेंथव। पहिली कुकुर के दम ल देखके दुसरइया कुकुर थोरिक सोच म परगेे। लाली रहिस हे ते चेहरा के रंग हँ पींवरागे। तभो ले एक घाँंव अउ काँख के जोर से भूँकिस-तै कहाँ घुचबे रे घेक्खर । अप्पत मनखे होगे हावस। मनखे नाम सुनके पहिला कुकुर बमकगे-तै मनखे तोर ददा मनखे तो पूरा खानदान मनखे रे नीच। दूसर जुवाब दिस -नीच कहिलेस ते कहिलेस कमीना ! नीच मनखे काबर कहेस रे। ओतका म दूनो पाल्टी के एकक दूदी झन चेला चपाटी मन आगे। उन खड़े-खड़े देखत ताकत परखे लगिन केे कोन कुकुर पोठलगहा हावय ओकरे तरफ ले कूद-भूँक के गदर मताय जाही। पहिला कुकुर ल भरम होगे के मोर संगवारी जादा आये हवय। वोह गरजिस-कहिबोच। एक घँव नही दस घँव कहिबो।तैं खातस त हम तो कुछु नइ काहन। हमार जूठा ल तैं काबर झपटस रे अनदेखना ! कायर ‼ जेन पहिली आइस तेन पहिली पाइस रे हरामजादा ‼
अइसे तइसे उंकर झगरा बाड़गे – तै चोर ,तैं मंदहा ,तै गजहा ,तैं भाई ,तैं तासिल कलेक्टर के बाबू ,तै अधिकारी ,तैं दलाल करत करत एक झिनके मँुह ले -तैं नेता निकलगे। नेता के नाम सुनिस ताहेन एक कुकुर के पारा असमान चढ़गे। वोह आव देखिच न ताव अउ तैं नेता -तैं मंतरी काहत झपट्टा मार के कूद परिस। दुनो कुकुर गुथ्थम गुथ्था होगे। सकेलाए कुकुर मन अपन अपन सकउ कुकुर मन उपर कूदके हला हलाके हबके-चाबे लगिन। वो जघा पूरा गदफद मातगे।
एक्का दुक्का कुकुर मन दुरिहा ले खड़े खड़े मोरे कस झगरा के मजा ले लगिन। मोला अइसे लागे लगिस मानो मेंह संसद भवन म खड़े हाँवव।
घर म आके देखथँंव टीबी म ओकर सीधा परसारन देवत राहय।

धर्मेन्द्र निर्मल

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One Thought to “कुकुर कटायन”

  1. गजब सुघ्घर रचना, रचनाकार सिरी धर्मेन्द्र निर्मल ल बधाई….

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