(पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी
की हिन्दी कविता *दूध में दरार पड़ गई* का
छत्तीसगढ़ी भावानुवाद : सुशील भोले)
लहू कइसे सादा होगे
भेद म अभेद खो गे
बंटगें शहीद, गीत कटगे
करेजा म कटार धंसगे
दूध म दनगारा परगे…
मयारू माटी म येला पढ़व इंहा..