कमरछठ कहानी (1) – दुखिया के दुःख

वीरेन्द्र सरल

एक गाँव में दुखिया नाव के एक झन गरीब माइलोगन रहय। जिनगी के आधा उमर सिरावत रहिस फेर आज ले ओखर कोरा सुन्ना रिहिस। गाँव के लइकोरी मन ओला ठाठा कहिके ताना मारे। काय करे बपरी ह सब के ताना ला कले चुप सहि के आँसू ढारत पहाड़ कस जिनगी ला पहावत रहय।

एक बेर उखर बियारा में कुत्तनिन ह पिला जनमे रहय। दुखिया ह उही में के एक ठन पिला ला अपन घर ले आनिस पोसे लगिस। कोन जनी कुकर के ओ पिला के अइसे काय परताप रिहिस कि ओखर सेवा के फल में दुखिया के सब दुख मेटागे। थोड़ेच दिन में ओखर घर अन्न धन्न, गउ लक्ष्मी के भंडार भरगे। दुखिया अब गौटनीन होगे। भगवान घला ओला चिन्हे लगिस अउ कोख ला हरियर कर दिस। दुखिया ह अम्मल में रहिगे।

कुकुर पिला ह बाढ़िस तब पता चलिस कि उहू कुतन्नीन आय। एक दिन दुखिया ला महरी पेज खाय के साध लागिस। ओ समे कुतन्नीन घला अम्मल में रहय। अभी दुखिया ह नहाय बर तरिया गे रिहिस। महरी पेज ला ठंडा करे बर ओ अँगना में मढ़ा दे रिहिस। अंगना में महरी पेज ला खुल्ला माढ़े देख के कुतन्नीन के जीव ललचागे। ओहा सबो महरी पेज ला सपर-सपर पी डारिस। दुखिया ह नहा के आइस तब ये सब ला देख के ओखर एड़ी के रिस तरवा में चढ़गे। ओहा कुतन्नीन ला पीढ़ा में फेंक के मार पारिस। पीढ़ा ह कुतन्नीन के पेट ला पड़िस। ओखर पेट के पिला मरगे। कुतन्नीन ह दुखिया ला श्राप दे दिस कि जा रे चंडालिन मोला थोड़किन गलती बर मार के मोर कोख ला सुन्ना करेस तइसने तोरो कोख ह सुन्ना हो जाय अउ कुतन्नीन उहाँ ले कुई-कुई करत भाग गे।

कुतन्नीन के श्राप में दुखिया के गरभ गिरगे। थोड़े-थोड़े दिन में दुखिया अम्मल में तो रहि जाय फेर गरभ ह ठहरबे नइ करय, बेरा के पहिली गिर जाय। एक बेर दुखिया के घर एक झन मंगन जोगी आइस। ओहा दुखिया ला देख के ओखर दुख अउ कुतन्नीन के श्राप ला जान डारिस। दुखिया ओखर पांव में गिरके श्राप ले मुक्ति के उपाय पूछिस।

जोगी ह श्राप ले मुक्त होय के उपाय अउ जनम धरइया लइका के मांग ला बता दिस।  लइका ह सावन भादो टेंषू के फूल खेलहूँ कहि, छानी ऊपर होरा भूँजहूँ कहि, चलती डोंगा ऊपर पकाय खीर खाहूँ कहि अउ तीजा के फरहार के दिन चिखला में खेलत-कूदत आके नवा लुगरा पहिरे अपन फुफू के कोरा म बइठहूँ कहि। ये सबला पूरा करहूँ कहिबे तभे तोर लइका ह जिहीं, समझगेस ना?

कमरछठ के दिन जोगी के बताय मुताबिक सबो विधि विधान ले पूजा करके दुखिया ह इही सब बात ला षिव जी तीर कबूलिस अउ सिरतोन म अवइया कमरछठ तिहार तक ओखर कोरा हरियागे। लइका ह जइसे-जइसे बाढ़त गिस तइसे-तइसे ओहा ऊटपटांग मांग करत जाय। दुखिया ला जोगी ह पहिली ले बता डारे रहिस। दुखिया अपन बेटा के सब मांग ला पूरा करिस। अब लइका जवान होके बने खइस कमाइस राज करिस। जइसे दुखिया के दिन बहुरिस तइसे सब के दिन बहुरय। बोलो कमरछठ भगवान की जय।

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