जै छत्तीसगढि़या किसान
तै कभू नई करे विराम
जम्मो दिन तैं करे हस काम
हो गेहे अब तैं सियान
जै छत्तीसगढि़या किसान।
अपन मेहनत लगाके
पनपुरवा अउ बासी खाके
उपजावत हस तैं हर धान
जै छत्तीसगढि़या किसान।
जम्मो झन बर घर बनाए
अपन परिवार ला कुंदरा मा सुताए
तोला नई मिलिस बढ़िया मकान
जै छत्तीसगढि़या किसान।
मजुरी करके लईका पढ़ाए
मेहनत के तैं पाठ सिखाए
नौकरी लगाए बर लइका के तोर
कोनो नई दिहिस धियान
जै छत्तीसगढि़या किसान।
बॉसगीत ला गाके
सबके सुते भाग जगाके
उपजवात हस तैं हर धान
जै छत्तीसगढि़या किसान।
खुश रहा
नानकुन जिनगी हावय
जम्मो झन खुश रहा।
मनखे मन तिर मा नई हे
ओ मन ला सोंच के खुश रहा।
कोनो नई पतियावय तू मन ला
तभो ले खुश रहा।
जे गँवा गे हे कन्हु करा
ओकर याद मा खुश रहा।
काली ला कोन देखे हावय
तुमन आज खुश रहा।
मया ला जोहत हा काबर
मया ला सोंच के खुश रहा।
काबर खोजत हावा आने मन ला
कभू तो अपन ले खुश रहा।
नानकुन जिनगी हावय भई बहिनी मन
जम्मो झन खुश रहा।
– कोमल यादव
खरसिया, रायगढ़
मो.न. 9977562133
बहुत बढ़िया कविता हे सर मोला बहुत पसंद आइस
सही में किसान मन बड़ मेहनत करथे ज़ी
बहुत मस्त रचना हे जी बहुत बढ़िया सही में किसान हा बेस्ट हे
जय जोहर बहुत ख़ूब खुश रहा अउ जै जोहार
बहुत बढ़िया सर जी अइसन अउ कोनो रचना होही ता सुनावा
जय जोहार बढ़िया हे
एही बात ल समझे ळ चाही सरकार तको ल बहुत बढ़िया कविता कोमल यादव जी