सियान मन के सीख
सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हे। संगवारी हो तइहा के सियान मन एक ठन हाना पारय। कहय-बेटा! नवा बइला के नवा सिंग, चल रे बइला टिंगे-टिंग। फेर संगवारी हो हमन उॅखर हाना ला बने ढंग ले समझ नई पाएन। जब नवा जिनिस के बात आथे तब हमर मन म अपने-आप नवा खुसी के लहरा समा जाथे। चाहे वो नवा बछर होय के नवा घर होय। नवा के नाव लेते हमर मन हरियर हो जाथे। संगवारी हो जब हमर मन म खुसी होथे तब हमर उत्साह घलाव दुगुना हो जाथे अउ जब हमन कोनो काम ला उत्साह के संग करथन तब हमन ला वो काम में सफलता घलाव आसानी से मिल जाथे।
संगवारी हो अगर अंतस ले सोचे जाय त हमर जिनगी के हर स्वास नवा होथे, हमर हर पल, हर छिन नवा होथे, हमर हर दिन, हर महीना, हर बछर नवा होथे काबर के जउन भी समय एक बार गुजर जाथे वो हर फेर लहुट के दुबारा कभू नई आवय। कबीर दास जी के दोहा हावय- स्वास-स्वास में नाम ले, वृथा स्वास मत खोय। न जाने किस स्वास का, आवा होय न होय।। संगवारी हो हमन ला अपन जिनगी के हर पल, हर छिन ला नवा मोहलत समझ के जागृत अवस्था में जी लेना चाही। जब हमन अपन जिनगी ला जागृत अवस्था में जीबो तब हमन सोझ रद्दा म रेंगबो अउ जब हमन अपन हर स्वास ला नवा समझ के जीबोन जब हमर मन मा कतका उत्साह के संचार होही एखर कल्पना नई करे जा सकय। हमर समाज बर, हमर देस बर अउ दुनिया बर भलाई के काम करना आसान नई हे। एखर बर हमन ला बहुत अवरोध-विरोध के सामना करे बर परथे। फेर जेखर जिनगी में नवापन होथे, मन में उत्साह होथे, उमंग होथे ओखर आगू म कोनो बाधा टिक नई पावय। सियान बिना धियान नई होवय। तभे तो उॅखर सीख ला गठिया के धरे मा ही भलाई हावै। सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हावै।
रश्मि रामेश्वर गुप्ता
सिरतोन गोठ हमर सियान मन जिनगी के अनुभव ले हाना बनावय अउ आघु अवइया पीढ़ी बर संजो के राखय
बहुत बढ़िया !!! सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हावे !!!
धन्यवाद् नागेश जी
हमर पुराना हाना ह आज घलाव सिरतोन म सही लागथे।
Bhut sundr bhut hi achhi Sikh hai
Bahoot badhiya lekh hai…
सियान मन के सीख ल माने म जिनगी के भलाई हे ।