बनिया साहेब – बाबू जागो, जागौ कुली किसान रे।
छत्तिसगढ़ के माटी जागिस, जागौ उठो जवान रे॥
जागिस सहर भिलाई चिमनी, कोरबा कोइला माटी
जागिस राजहरा के लोहा, बैलाडीला घाटी
गोंदरी अऊ गंगरेल जागगै जागिस कुघरी रेता
नरवा जागिस, नंदिया जागिस, जागौ जनता नेता
लइका जागौ, बुढ़ुवा जागौ जागौ सबो किसान रे।
छत्तीसगढ़ के माटी जागिस जागौ उठो जवान रे॥
केरल आन्ध्र बिहार उडीसा, एक पेट के भाई
अपन अपन बाँटा मां बइठे, बाँट बाँट के खाई
जे माटी में नाल गडे हे जेखर धूर खा नहायेन
ओ माटी के करजा छूटबो जेखर अन्न ला पायेन
माटी में मिल जाबो संगी, माटी हमर परान रै।
छत्तीसगढ़ के माटी जागिस जागौ उठौ जवान रे॥
नांग बरोबर गरजौ संगी, ढोढि़या कस झपटौ
झन कपसौ सितहर कोलिहा अस महमल्लाकस झपटौ
हमर खार ला चर के गोल्लर, खुर खुंद नंग ते करथय
दूध कसेली हमर ढार के, अपन दूध ला भरथे
नियत बिगाडे़ चोरहा बइठे त्यागौ नींद नदान रे।
छत्तीसगढ़ के माटी जागिस जागौ उठो जवान रे।।
– बंगाली प्रसाद ताम्रकार