ये चंदैनी भरे रात जोडा़ नींद नइ आवै।
छाती हवै कसमसात जोडा़ नींद नई आवै॥
बइठे हों सुरता के दीया बाती बारे
भटकत हौं येती ओती जोगी बानाधारे
आगी अस लागै बरसात जोडा़ नींद नई आवै।
आँखी आँखी भूलय झमकय चमकथय तोर पैरी
सुन्ना सुन्ना कुरिया लागय, अंगना होगे बइरी
उम्मर होगे बज्जात जोडा़ नींद नइ आवै।
– देवीप्रसाद वर्मा ”बच्चू जाँजगिरी”