तैंहर छोटे झन जानबे भइया एक ला।
एकक जब जुरियाथें लग जाथे मेला॥
एक्के भगवान ह जग ला सिरजाये हे
एक ठन सुराज ह, अँजोर बन के छाये हे
सौ बक्का ले बढ़ के होथे एक लिख्खा
गठिया के धरे रिबो मोरो ये गोठ ला।
भिन्ना फूटी ले होथे एक मती
कोटिक लबरा ले बढ़ के होथे एक जती
सब दिन के पानी तब एक दिन के घाम
बाटुर उलकुहा ले बढके एक दिन के काम
खाँडी भर बदरा अऊ एक पोठ धान।
रस्ता बना लेथे अकेल्ला सुजान
सौ सोनार के तब लोहार के होथे एक
सौ भेंड़ी ला चरा लेथे गडरिया एक
एक एक बूंद सकला के भर जाथे तरिया
एकक हरिया जोत टूट जाथे परिया
एक मां गुन अनलेख भरे हे कतेल ला मैं गिनाववं
सूवा होय तेला रटन कराबे मनखे ला कतेक लखावंव
– केयूर भूषण
सुन्दर नगर, रायपुर