निगम जी के “छन्द के छ’ पढे बर मिलीस। पिंगल शास्त्र के जानकारी देवइया किताब ल महतारी भाखा म पढ के मन आल्हादित होगे। आज के लिखइया मन छन्द के नाम ल सुन के भागथे अइसन बेरा म छत्तीसगढी साहित्य ला पोठ करे खातिर निगम जी पोठ काम करे हवय।
छन्द ला समझाये खातिर निगम जी ह सबले पहिली – अक्षर, बरन, यति, गति, मातरा, डांड अउ चरन (सम चरण, बिषम चरण), लघु (1) गुरू (5) काला कहिथे? तेला बिस्तार ले समझाये हे। मातरा ला कइसे गिने जाथे? मातरा ल गिने के नियम होथे ओला फोर-फोर के बताय हवंय। छत्तीसगढी मा छन्द विधा ला बिस्तार ले समझा के छन्द के जानकारी देवईया मोर जानबा मा ये पहलइया किताब आय। अपन किताब म उन लघु ला- छोटकू अउ गुरू ला- बडकू के रूप म परयोग करे हवय।
छन्द हा साधना के विषय आय अउ साधना करे बर गुरू के जरूरत परथे। बिन गुरू के छन्द ल साधना मुसकुल काम हे। हाँ ये किताब ल निगम जी ह अतका सरल, सरलग अउ सुग्घर बना के लिखे हवय के ये ला गंभीरता ले अध्ययन करे के बाद कोनो भी साहित्यकार छन्द म आसानी ले काम कर लेही। ये किताब म छन्द ला पूरा विधि-बिधान ले बताय गे हवय। छन्द के जम्मो उदहारण ल निगम जी अपन स्वरचित कविता के माध्यम ले दे हवय। नवा लिखइया अउ छन्द म रूचि लेवइया मन बर ये किताब ह बरदान साबित होही अइसन मोर बिसवास हवय। ये किताब म दोहा, सोरठा, चौपाई, सवैया, छप्पय, रोला, कुण्डलिया, बरवै, रूपमाला, गीतिका, आल्हा, त्रिभंगी, सवैया, घनाघक्षरी, कहमुकरी, उल्लाला, मऱ्तगयन्द, कुकुभ सहित कुल 50 किसिम के छन्द ल उदाहरण सहित समझाय गे हवय।
“छन्द के छ” किताब खातिर निगम जी के मिहनत साफ झलकथे। जाने कोन-कोन मेर ले अलग-अलग प्रकार के छन्द ला इकटूठा करिन होही? कोन-कोन पुस्तक के अध्ययन करिन होही? छन्द ह कइसे लिखे जाथे? ओखर मातरा कइसे चलथे? जम्मो जिनिस ला एक शोधार्थी ही एकत्रित कर सकथे। आज जब कि छन्द के परंपरा ह लगभग टूटे के कगार म आ गे हवय, छन्द म लिखइया मन ल अँगरी म गिने जा सकथे, अइसन बेरा म छन्द के किताब लिख के निगम जी ह पिंगल शास्त्र म जान के काम करे हवय। छत्तीसगढी मा लिखइया मन के कमी नई हे| हर गली चउराहा मा कोरी-कोरी रचनाकार मन मिल जहय फेर आधुनिक कविता के नाम म अदर-कचर लिखइया अउ तुकबंदी ल अपन ब्रम्हास्त्र समझइया मन ये किताब ल जरूर पद्य अउ छत्तीसगढी साहित्य ल पोठ करे खातिर पोठ रचना लिखय।
कालेज के बिद्यार्थी ल पढाना सहज हवय फेर पहिली कक्षा के बिद्यार्थी ल पढाना कतका मुसकुल हवय ये बात ल प्राईमरी के गुरूजी ही समझ सकथे। ठीक वइसने निगम जी ह छन्द ल समझाये खातिर पहिली कक्षा के बिद्यार्थी के स्तर मा जा के समझाये के परयास करे हावय जेकर फायदा ये होही कि कोनो भी पाठक छन्द के नियम-धियम ल सुगमता ले समझ जाही। अभी हाल तक छन्द पढे/समझे/ अउ लिखे बर हम या तो हिन्दी के किताब ल पढन या संस्कृत के किताब ह माध्यम रहय, फेर अब निगम जी के किताब आये ले ये सुविधा अब सोझ हमर महतारी भाखा छत्तीसगढी म उपलब्ध होगे हवय।
किताब ह उत्कृष्ट, प्रसंशनीय अउ संग्रहणीय हवय। छंद के छ” ला एम.ए.छत्तीसगढी के पाठ्यक्रम मा जोडे जाना चाही ताकि नवांकुर मन छत्तीसगढी साहित्य म छन्द के भरपूर लाभ उठा सकय। छन्द के छ जइसन भगीरथ परयास बर निगम जी ल अंतस ले बधाई।
– अजय अमृताशु
साहित्यकार – अरूण निगम
प्रकाशक – सर्वप्रिय प्रकाशन, दिल्ली
मूल्य – 100/- मात्र