आज के समे म कोनो ककरो नई होवय तईसे लागथे,मनखे के गोठ बात बिना सुवारथ के दूसर मनखे नई सुनय I अऊ बात बने सही रईहीं तभो वोकर बात ल कोनों नई गुनय, भाई मन बाटें भाई परोसी होगे हे, एक दूसर बर बईरी का कहिबे एक दूसर ल फूटे आँखी नई सुहावय Iसमे बदल गेहे अऊ मनखे मन बदल गेहे फेर ईतवारी बड़ा के मंझिला लईका मालचु ह नई बदलीच, भागमभाग अऊ बयसायीकरन के पल्ला दौड़ म लोगन मन अंधिरियागे हे फेर ईतवारी के संसकार ह मालचु ल अईसे जकड़े हाबय मरत ले नई छुटय तईसे लागथे I जात के केंवट ईतवारी ह एक समे म हमरे घर कमईया लगय, सात झिन लईका ल बनी भूति करके पालिस पोसिस सबो लईका अपन अपन रोजी रोटी कमाय बर धर लिच, बर बिहाव होगे नाती नतुरा आगे, तभो ले हमर घर के देहरी ल मरत ले नई छोड़ीस I ओकर मया अऊ बिसवास ल देखौ त अईसे लागय इही ह हमर घर परवार के सहिंच म हितवा ये,ईतवारी के गुजरे के बाद ओकर मंझिला लईका मालचु ह हमरे घर बनी भूति करय अऊ अपन परवार ल चलावय एको झिन लोग लईका नई रहिस हे, वोकर बाई सोहदरा ह तको काम म हाथ बटावयI जेन दिन काम नई रहय तेनो दिन हमर घर सोरियावत आवय अपन ठेठ भाखा म मोर महतारी ल बोलतीच गौटनीन कोनो काम होही त बतावव, ईहा के काम ल पहिली करके दूसर जगा जातेव, मोर महतारी ह एक बार वोला जरूर गरियातिस,आगेच जिवलेवा गतर के, जा जेन काम अपन आँखी में दिखत हे उही ल सिरहोI रोजे रोज मालचु के बेगारी काम करई हमर घर वोला बने लागय, वो काहय तको इहाँ के काम करे बिना मोर खाना नई पचय गौटनीन कईके,मोला देखके अइसने लागय कि आज के समे मा अईसन मनखे तको होथे का ? का सुख, का दुख,छट्टी बरही,बर बिहाव, जेने मेर देखव अगुवा असन मालचु ल खड़े पावव,बिना सुवारथ के आज कोनो ककरो नई सुनय, भाई भाई के नई बनय, बेटा अऊ बाप के नई जमय वोकर मन बर मालचु ह आज के समे में एक तमाचा आय,मालचु मया के नाव ये,मालचु एक बिसवास ये,मालचु ल भले ओकर बाई ह, गाव के मनखे ह परबुधिया काहय फेर ओकर सेवा भाव के गांठ ह अतेक ठोस लगहा हे आज भी कोनो तोड़ नई सकीच I कोन माटी के बने हे परबुधिया ह,आज घर परवार म हरर कटर होवत हे एक दूसर के टांग खिचत हे, दूसर के फटे खीसा देख हँसत हे, चारी चुगली म बूड़े हे,वोकर ले बढिया मोर परबूधिया भैय्या मालचु के काम अऊ ओकर बात ह हम सबो झीन बर प्रेरणा लगथेI वो कहिथे काकर बर अतेक संसों करथस माटी के काया माटी म जाही, लिंगरी लाई म बूड़ के जांगर ल अपन खपाव झन,मित मिलही मितान मिलही, कतको झीन सियान मिलही,फेर सरग चढ़े बर निसैनी नईये,जिनगी ल नरक बनाव झन I त परबूधिया फेर काहत हौ, बईरी के तै हितवा बन, मीत मितान बर मितवा बन, कोड़ात हाबस अपनेच बर गड्ढा,अईसन झन तेंहा परबूधिया बनI वाह ग मालचु भैय्या तोर गोठ अऊ काम ह घर परवार अऊ गाव बर हितवा असन लागथे,तै भले परबूधिया होबे फेर हमर मन के सही मायने म हितवा अस तोर जईसे हितवा रईही त कतको ले बड़े से बड़े पहार असन बाधा ल पार कर सकबो हमर भाग मानी ये कि तोर जईसे हितवा के साथ मिले हे I
विजेंद्र वर्मा अनजान
नगरगाँव (जिला-रायपुर)