आइगे बरात गांव-तीर भोला बाबा जी के
देखे जाबो चल गीयॉं संगी ल जगाव रे
डारो टोपि, मारो धोति, पॉंव पयजामा कसि
गरगल बांधा अंग कुरता लगाव रे
हेरा पनही, दौड़ंत बनही कहे नरसिंहदास
एक बार छूंहा करि सबे कहूँ धाव रे
पहुँच गये सुक्खा भये देखि केंह नहिं बाबा
नहिं बब्बा कहे प्राण ले अगाव रे
कोऊ भूत चढ़े गदहा चढ़े कूकूर म चढ़े
कोऊ-कोऊ कोलिहा म चढि़ आवत
कोऊ बिघवा म चढि़ कोऊ बघवा म चढि़
कोऊ घुघुवा म चढि़ हाँकत-उड़ावत
सर्र-सर्र सांप करे गर्र-गर्र बाघ रे
हॉंव-हॉंव कुत्ता करे कोलिहा हुहावत
भूत करे बम्म-बम्म कहे नरसिंहदास
संभू के बरात देखि जियरा डेरावत,
अस्पष्ट ….
नरसिंह दास वैष्णव