चल ना रे कांवरिया, चल कांवर ल धरले।
सिका-जोंती चुकिया में,गंगा जल भरले।।
चल ना रे कांवरिया…………………….
सावन के महीना हावै,शिव शंभु दानी के।
कर सेवा मन भरके,कांवर ले कमानी के।।
हर-हर बम भोले बाबा,पावन काम करले।
चल ना रे कांवरिया……………………..
छोटे-बड़े सबो जाथे ,भोले के दरबार में।
गिरे-अपटे मनखे मन, खड़े हे दुवार में।।
जउने आसा करबे पाबे, बेल पतरी लेले।
चल ना रे कांवरिया…………………….
भोला के मंदिरवा लगे,भगत मन के मेला।
दुरिहा ले कांवर धरे ,आवत, धरे भेला।।
ॐ नमः शिवाय, बोधन राम तहुँ जपले।
चल ना रे कांवरिया……………………..
बोधन राम निषाद “राज”
स./लोहारा,
जिला – कबीरधाम (छ.ग.)