हर हर बम बम भोलेनाथ के , जयकारा लगावत हे ।
कांवर धर के कांवरिया मन , जल चढाय बर जावत हे ।
सावन महिना भोलेनाथ के, सब झन दरसन पावत हे ।
धुरिहा धुरिहा के सिव भक्त मन , दरस करे बर आवत हे ।
कोनों रेंगत कोनों गावत , कोनों घिसलत जावत हे ।
नइ रुके वो कोनों जगा अब , भले छाला पर जावत हे ।
आनी बानी के फल फूल अऊ , नरियर भेला चढावत हे ।
दूध दही अऊ चंदन रोली , जल अभिसेक करावत हे ।
भोलेनाथ के महिमा भारी , सबझन माथ नवावत हे ।
औघड़ दानी सिव भोला के, सब कोई आसीस पावत हे ।
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया छत्तीसगढ़