दशरहा मा रावन के पुलता ला जलाय के परंपरा हावय। ए हा बुराई मा अच्छाई के जीत के चिन्हारी हरय। समय के संग मा रावन के रंग-ढ़ंग हा घलाव बदलत जावत हे। हजारों ले लेके लाखों रुपिया के रावन ला सिरिफ परंपरा के नाँव मा घंटा भर मा फूँके के फेशन हा बाढ़त जावत हे। रावन के पुतला हा हर बच्छर बाढ़ते जावत हे। असल रावन हा घलाव समाज मा सुरसा के मुँह बरोबर सरलग बाढ़त हावय। जेती देखबे तेती रावन ले जादा जबरहा राक्छस फिरत हाँवय। रावन के अशोक वाटिका मा तो सीता मइया हा सोलाआना सुरक्छित रहीन हे फेर ए कलजुग मा नारी परानी कोनो मेर सुरक्छित नइ हे। ना घर मा बाहिर मा। सबले जादा डर नोनी मन ला, नारी ला अपने चिन्हार, नता लगवार मन ले खतरा होवत हे अब। आज समाज मा नारी देवी नहीं भोग के जीनिस समझे जाथे। मनखे के पुरुसवादी सोच हा नारी के दुरदशा बर नारी ला दोस देथे। कथे के बुरा-कुबेरा अकेला घर ले बाहिर काबर किंजरथे, अइसन अंगरक्खा काबर पहिरथे जेमा अंग के दरश होथे!! नारी हा अपन सरी अंग ला कतको तोपे ढाँके रहय चौक मा, रद्दा मा बइठे राक्छस मन हा अपन नजर ले बिन अंगरक्खा के कर डारथें। इँखर काम हा सोज मा नइ बनय ता टेड़गा मा होय सोचथें। जोर जबरदस्ती ले नारी के मरजाद ला चेंदरी कस चीर डारथें। अशोक वाटिका मा रावन कभूच सीता मइया ले अकेल्ला नइ मिलीस। कभू जोर जबरदस्ती नइ करीन। रावन ज्ञानी,पंडित,पुजेरी, तपसी, रुपवान, बलवान रहीन चाहतीस ता चिटिक भर मा सीता मइया के मरजाद ला नास कर देतीन फेर अइसन नइ करीन। आज अइसन गुनी रावन के पुतला ला जला के अपन भीतर के रावन ला जिंदा राखत हे असल रावन मन हा।
कन्हैया साहू “अमित”
शिक्षक~भाटापारा (छग)
संपर्क~9753322055
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