व्‍यंग्‍य कविता : सफई अभियान

चलव आज फेर, अरछी परछी,
कुरिया दुवारी के ,जाला ल झार लेथन।
बाहिर कहूं चिकना गिस होही त,
अब अंतस ल बहार लेथन ।।

गांधी बबा ल घलो ,
अब देखाए ल परही।
एक दिन बर सफई के,
ढोंग लगाए ल परही।

अपन घर ल बहार के,
परोसी के मुंहाटी म फेंक ।
तब अहिंसा के पाठ ल,
डंंडा अउ तलवार म देख ।।

गांधी बबा के तीनो बेंदरा मन घलो,
उतर जथे लड़ाई मा।
अउ दू अक्टूबर के दिन नारा लगवाही,
अपने बढ़ई मा।।

बड़े बड़े गांधीवादी मन के,
हाथ ह लहू म ललियाय हे।
अउ पुछबे त, एहू ल,
सफई अभियान के हिस्सा बताए हे।।

सफई अभियान ल अब बबा ह,
भिथिया मा बने ,चस्मा ले देखत हे।
तभो ले मनटोरा ह, कचरा ल ,
उही म फेंकत हे।।

बड़े बड़े नेता मन आज,
बाहरी के संग कचरा ल जोरके ।
सफई के नाव म फोटू खिंचाही,
खसखस ले दाँत ल निपोर के।।

मोदी जी के बाहिरखोली(शौचालय)
देस-बिदेस मा खूब धूम मचावत हे।
ठगिया ह उंहा भात रान्धय त,
सुखिया के छेना लकड़ी धरावत हे।।

किरिया घलो खाए हन,
गांधी बबा के सपना ल नइ तोड़न ।
फेर, लोटा धरके ,
बाहिर जाए ल नइ छोड़न।।

✍ राम कुमार साहू
सिल्हाटी, कबीरधाम
मो. नं. 9977535388
२अक्टूबर 2017

इसमें लगे चित्र को रचनाकार के द्वारा भेजा गया है। ग्लिब्‍स डॉट कॉम का आभार।



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