सहज, सरल, मिलनसार अउ मृदुभाषी व्यक्तित्व के धनी सुशील यदु जी के पिता के नाम स्व.खोरबाहरा राम यदु रहिस । एम.एम. (हिन्दी साहित्य) तक शिक्षा प्राप्त यदु जी प्राइमरी स्कूल म हेड मास्टर के पद रहिन । छत्तीसगढ राज बने के पहिली ले छत्तीसगढी भाखा ल स्थापित करे के जडन आंदोलन चलिस ओमा सुशील यदु के नाम अग्रिम पंक्ति म गिने जाथे । छत्तीसगढी भाखा अउ साहित्य के उत्थान खातिर हर बछर छ.ग. म बडे-बडे आयोजन करना जेमा प्रदेश भर के 400-500 साहित्यकार ल सकेलना, भोजन पानी के व्यवस्था करना असन काम केवल सुशील यदु ही कर सकत रहिन छत्तीसगढी कवि सम्मलेन के लोकप्रिय हास्य व्यंग्य कवि के रूप मा उन विख्यात रहिन । छत्तीसगढी के उत्थान खातिर अपन पूरा जीवन खपा दिन अउ अंतिम साँस तक तक भाखा ल स्थापित करे खातिर हर उदीम करिन ।
सन् 1981 म जब उन प्रांतीय छत्तीसगढी साहित्य समिति के स्थापना करिन त वो बखत कोनो नइ सोचे रहिन होही कि संस्था ह एक दिन आंदोलन के रूप ले लेही । आज ये संस्था ह छ.ग. राज के लगभग 18 जिला म छत्तीसगढी के विकास बर श्री यदु के बाना बिंधना ल उठाय काम करत हे । लगभग 700 साहित्यकार, कलाकार,संस्कृति कर्मी मन ये संस्था ले जुडे हवय। सन 1994 म प्रथम प्रांतीय सम्मेलन के आयोजन होईस जङडन आज पर्यप्न्त तक जारी हे । सन् 2007 में छत्तीसगढी साहित्य समिति के रजत जयंती बरिस रहिस प्रांतीय समिति के द्वारा उठाय कदम ह क्रांतिकारी रहिस छत्तीसगढ के छोटे से ले के बड्का-बड्का साहित्यकार मन घलो येमा जुडिन । हर बछर लगभग 8 सम्मान अलग-अलग क्षेत्र में उपलब्धि हासिल करने वाला मन ल देवत आत हे । अब तब छत्तीसगढ के सैंकडो हस्ती सम्मानित हो चुके हवय जेमा साहित्कार, लोक कलाकार,खिलाडी,फिल्मी कलाकार मन शामिल हवय । छत्तीसगढ के लगभग सबो बडका साहित्यकार अउ लोक कलाकार के सम्मान सुशील यदु जी अपन संस्था के माध्यम ले करिन ।
महिला साहित्यकार मन ल बरोबर प्रतिनिधित्व देना श्री यदु जी के खासियत रहिन । उँकर प्रांतीय साहित्य समिति के वार्षिक आयोजन के लोकप्रियता के अंदाजा आप इही बात ले लगा सकथव कि साहित्यकार मन ला साल भर येकर अगोरा रहय कि ये बछर कोन तारीख के अउ कोन जघा येकर आयोजन होही । छत्तीसगढ राज्य निर्माण संघर्ष समिति म स्व.हरि ठाकुर के संग जुड के आंदोलन ल गति दे के काम यदु जी करिन । छ.ग.राज बने के बाद छत्तीसगढी ल राजभाषा बनाये खातिर कई बार प्रांतीय सम्मेलन के माध्यम से आवाज ल सरकार तक पहुँचाइन । राजभाषा बने के बाद भी उँमन बइठ के नई रहिन अउ छत्तीसगढी ल राजकाज के भाखा बनाये बर आजीवन प्रयासरत रहिन ।
छत्तीसगढी म उन कालजयी गीत भी उन लिखिन,जेमा कुछ के तो आडियो, विडियो भी बने हवय अउ फिल्म म भी आ चुके हवय । ओकर लिखे गीत अउ हास्य बियंग कविता के छाप आज भी जनमानस मा देखे जा सकथे । रायपुर के दूधाधारी मठ हा उँकर कई बडे आयोजन के साक्षी बनिस । कवि सम्मेलन के मंच म – घोलघोला बिना मंगलू नइ नाचय, अल्ला अल्ला हरे-हरे, होर्तेव कहूँ कुकुर, नाम बडे दरसन छोटे, कौरव पांडव के परीक्षा जइसन हास्य बियंग रचना ले उन खूब वाहवाही लूटिन।
सन् 1993 ले 2002 तक दैनिक नवभारत म छत्तीसगढी स्तंभ “लोकरंग” के लोकप्रिय लेखक रहिन । लोकरंग के माध्यम ले उन छत्तीसगढी के साहित्यकार अउ लोक कलाकार मन ल सामने लाय के काम करिन । आकाशवाणी अउ दूरर्शन ले बेरा-बेरा म उँकर कविता,अडउ परिचर्चा के प्रसारण होवत रहय ।
सुशील यदु जी अपन संपादन में वरिष्ठ अड अभावग्रस्त साहित्यकार मन के किताब के प्रकाशन करिन जेमा- श्री हेमनाथ यदु, बद्रीबिशाल परमानंद रंगू प्रसाद नामदेव, लखनलाल गुप्त, उधोराम झकमार, हरि ठाकुर, केशव दुबे, रामप्रसाद कोसरिया प्रमुख हे । अपन संपादन में छत्तीसगढी साहित्य समिति के द्वारा अब तक कुल 15 पुस्तक के प्रकाशन सुशील यदु जी करिन जउन में- 1. हेमनाथ यदु के व्यक्तित्व अड कृतित्व, 1. बनफुलवा 3. पिंबरी लिखे तोर भाग, 4. छत्तीसगढ के सुराजी बीर काव्य गाथा 5.बगरे मोती 6. हपट परे तो हर हर गंगे 7. सतनाम के बिरवा 8. छत्तीसगढी बाल नाटक 9. लोकरंग भाग-एक 10. लोकरंग भाग-दो, 11. घोलघोला बिना मंगलू नई नाचय, 12- ररूहा सपनायेदार भात, 13. अमृत कलश, 14. माटी के मया हे 15. हरियर आमा घन 16. सुरता राखे रा सँगवारी हवय ।
छत्तीसगढी के दिवंगत साहित्यकार मन ल स्मरण करे खातिर उमन “सुरता कडी के शुरूआत करिन जेमा- सुरता हेमनाथ यदु, सुरता भगवती सेन,सुरता डॉ.नरेन्द्र देव वर्मा, सुरता हरि ठाकुर, सुरता कोदूराम दलित, सुरता केदार यादव, बद्रीबिशाल,गनपत साव, मोतीलाल त्रिपाठी मन ल सुरता करे के प्रसंशनीय अउ अनुकरणीय कार्य प्रांतीय साहित्य सामिति के माध्य से करिन । प्रांतीय स्तर म बडे-बडे छत्तीसगढी कवि सम्मेलन के आयोजन करे के श्रेय भी यदु जी ला जाथे |यदु जी के अब तक स्वयं के 5 कृति आ चुके हवय । वर्ष 2014 में प्रकाशित उँकर कृति हरियर आमा घन (सन 1982 ले 2012 तक लिखे उँकर गीत और बियंग कविता के कुल 51 रचना के संग्रह ) प्रकाशित होईस जउन खूब लोकप्रिय होईस ।
कार्यक्रम आयोजन अउ संयोजन के गजब के क्षमता यदु जी म देखे बर मिलिस । उँकर संग मैं लगभग 18 बछर रहेंव,कई घव उन कहय कि अब येती आघू के काम ल तुम युवा मन ला करना हे तब ये कभू भी नइ सोंचे रहेंब कि अतका जल्दी उन सँग छोड के चल देही । उँकर अगुवई म छत्तीसगढी साहित्य समिति के अंतिम प्रांतीय सम्मेलन 14-15 जनवरी 2017 के तिल्दा म होय रहिस । कतकोन साहित्यकार इही बात ल घेरी भेरी सुरता करथे कि उन ल का मालूम रहिस कि ये सम्मेलन उँकर जीवन के आखिर प्रांतीय सम्मेलन होही । जीवन के अंतिम समय म 5-6 दिन उन आईसीयू म रहिन उँहा ले छुट्टी हो के घर आगे रहिन फेर नियति के लेखा ल कोन टार सकथे । 23/09/2017 के रतिहा 9:30 बजे संदेशा मिलिस कि उन नई रहिन । थोरिक देर बर मोर हॉथ पाँव सुन्न होगे । अइटसन व्यक्तित्व के सुरता हा रहि-रहि के आथे अउ नजरे नजर म झूलथे ।
सुशील यदु जी के नाम ह लोक साहित्य,लोक कला अउ लोक संस्कृति के पर्याय बनगे रहिस हवय । उँकर जाय ले छत्तीसगढी भाखा के उत्थान बर रेंगइया,लडईया,जुझईया,दिन-रात एक करईया के एक जुग समाप्त होगे । छत्तीसगढी ल स्थापित करे दौर म उँकर जाना अपूरणीय क्षति आय ।
अजय ‘ अमृतांशु”
भाटापारा