छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया चारो कोति शोर सुनावत हे
फेर इंहा के मनखे छत्तीसगढ़ी,गोठियाय बर लजावत हे
जब ले हमर राज बनिस,छत्तीसगढ़ के मान बाढ़िस
खेत कोठार गांव गली,बनिहार किसान के सनमान बाढ़िस
जेकर ले पहिचान मिलिस उही ल दुरियावत हे
फेर इंहा…..,
सुजान सियान हमर पुरखा के,संवारिन करके राखा गा
जब ले धरे चेतलग काया,पाये गुरतुर महतारी भाखा गा
अड़हा राहत ले माई समझे,पढ़लिख मोसी बनावत हे
फेर इंहा……,
शिक्छा के अंजोर बगरगे,गांव गांव एबीसीडीईएफजी
इही म पढ़ना अउ लिखना,लहुटत जीभ कइसे देख जी
सुनके एला हमर ‘राजभाषा’ मनेमन म सुसवावत हे
फेर इंहा ……,
बात बदलगे ठाठ बदलगे,आगे संगी डिजिटल जमाना
हर हाथ म मोबईल वाट्स एप,फेसबुक म हे बतियाना
बात हिन्दी या छत्तीसगढ़ी,टायपिंग अंग्रेजी सजावत हे
फेर इंहा……,
अपेत गंवईहा पोटारे पुरखौती,गियानी मन का करत हे
अपन धरोहर सनमान भुलाके,दुसर के म झपा परत हे
बिही आमा छीता ल छोड़के,करू करेला ल खावत हे
फेर इंहा……,
छत्तीसगढ़ महतारी गोहरावय,मोर सिंगार सजा दव गा
सुनो दुलरवा बेटा हो अपन दाई के लाज बचा लव गा
जानत हे बोलचाल जम्मो,जानबुझ के मुहू लुकावत हे
फेर इंहा…..!!!
ललित नागेश
बहेराभांठा(छुरा)
गरियाबंद(छ.ग.)
[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला सुनव”]