‘स्वच्छ भारत मिशन’ के मनमाने सफलता ल देख के मोर मन म एक ठिन सपना आत हे ,हमर सरकार ल अवईया नवा बछर ले ‘मंद छोड़ो अभियान’ शुरू कर देना चाही।उदघाटन घलो उंकरे ले होय त अउ बढ़िया। कम से कम यहू तो पता चलही कोन कोन सियान मन मंद मतवारी करत रिहीन। फेर का करबे सपना त सपना आय रे भई!
पाछु तीन चार बछर ले देखत आत रेहेन गांव गांव म रोजिना छापा मरई ,कोचिया बिल्कुलेच नइ होना।दू बोतल तीन बोतल एकाध गिलास देंवता धामी म तरपे बर राखे ह घलो गिनती म आ जाय ,अउ जम्मो ल ओलियई बुता करंय।फेर ए साल छापा मरई बंद ,सरकार खुदे बेचत हे मंद,त कोनेच करही तंग,ले ले के एकर गंध,करत हे लंद फंद। कोचियई धंधा नी होना चाही काहंय अब अपने मन कोचिया बनगे।
ए नीशा पानी के सुभाव ल तो सबो जानतेच हव जब चघे रहिथे तब मनखे अपन ल “द ग्रेट खली” ले कम नइ समझंय, “मेरे सामने….., मै वो….., तु मुझे….,” छाती पीट पीट के परबचन झाड़थे अउ निमगा मे राधे श्याम नी बोले। फेर भई जब अपन ताकत के जानबा होथे त ओकर परीक्छन तो जरूरी आय,त कपड़ा लत्ता फेंक ,गली मे नाच,परोसी संग हाथ पांव के मेल जोल,घर मे लोग लईका ल ताकत देखा,हंड़िया पटक,लट्टु फोर ,शीशी कचार!
आज काली कंहू मेर होय शीशी के कांच बगरे दिख जाथे। अईसनेच मंधवा मन के फोरे बगराए कांच हमर परोसी सुरेश पांव म गड़े रिहीस तीन महीना ले घर ले नइ निकलिस बपरा ह। पाछु महीना सिरी बुधराम गुरूजी के फटफटी ह कांचे म फुटे रिहीस,ढुलात ढुलात एक कोस लेग के बनात ले देरी होगे। उही दिन बड़े साहब मन स्कुल के दउरा करिन ,गुरूजी गैरहाजिर कारण बताओ नोटिस निकल गे संगे संग निलंबन के आडर ।आजेच थानू कका बिहनिया तरिया म दतवन करे बर अइस,जोहार भेंट के पाछु पुछ परेंव का बुता चलत हे कहिके?गुसियाहा बरन ले बतइस- “टेक्टर के बड़े चक्का ल हेरत रेहेंव,नारायण के खेत म रचाय खरही ल मिंजे बर थेसर लेगत रेहेंव कोन मंधवा बीयर पी के शीशी ल फेंक दे रिहीस हे, चक्का जइसे परीस शीशी फट ले फूटिस अउ भस ले गोभा गे ; जम्मो हवा फसफस ले .., अब का बताबे?”
संगवारी हो अइसने हमर आघु पीछु कतकोन ठिन घटना दुर्घटना होवत हे ए कांच बगरे ले ।हमर बाताबरण ल सफ्फा रखे बर का सरकारेच के ठेका हे?गांव म पारा टोला म उंहेच के रहईया मन करथे अउ सोंचथे सरकार सफई करवाही!सरकार के दिन ले ए पारा वो पारा बाहरत किंजरही?के जगा के शीशी कांच ल बिनत बईठे रही?प्रधानमंत्री हर गांव म तो नइ जा सके न भई! फेर हर गांव म एक प्रधानमंत्री जरूर बन सकत हें, जेन ह अपन तीर तखार ल स्वच्छ बनाय के जिम्मा उठा सकत हे!अउ एक गांव ल साफ रखे के फल देश के प्रधानमंत्री के डाहर ले करे काम के फल के बराबर माने जही!
फेर अघवाय कोन? का मिलही हम ला? आज काली आंखी ह अइसन होगे हे कि जेती देखबे फायदा फायदा दिखना चाही,बिन फायदा के कतको बढ़िया काम सुंघे नही।कई झिन कहिथे एकर बर कानून बनना चाही ,नियम कायदा बने ले सब लइन रद्दा म आ जही ।अरे कतका कानून ल का करहू ? हमर मेर अतका अकन कानून परे हे जेकर पालन हो जाय त गांव राज का कबे ए देश साल भर म संसार भर म अघुवा बन जही ।लेकिन नही ,जब तक हम ल कोनो हुदरही नही ,कोचकही नही तब तक जिमेदारी के मोटरा ल नइ उठान ।पाछु बखत एक ठिन नियम निकालिस – जम्मो फटफटी चलईया ल मुड़ी म हेलमेट लगाना घातेच जरूरी हे! चार दिन सब फटफटी चलईया के मुड़ी चिक्कन!तहान ले …,फेर उही कहानी ।कोनो तो कोचकईया नइये ?कोनो चालान कटईया नइये? जतेक हमर उमर बाढ़त जात हे हम ओतकेच अपन ल गियानी धियानी बिचारवान समझत जात हन। जब अतका जागरूक होगे हन त चौकी म पुलिस देखे के पहिली हेलमेट काबर नी लगान?डाहर बाट म कांच बगराये ले मजा आथे? दू चार रुपिया के के जुरमाना भरे के अगोरा म रहिबो त का जानथस ऊपर वाला नगतेच रुपिया के चालान बना दिही?वो समे अबड़ देरी हो जाय रही!
ललित नागेश
बहेराभांठा(छुरा)
४९३९९६
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