सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हे। संगवारी हो तइहा के सियान मन कहय-बेटा! जब तक स्वांसा, तब तक आसा रे। फेर संगवारी हो हमन उॅखर बात ला बने ढंग ले समझ नई पाएन। हमर बर तो जिनगी के हर घड़ी, हर मिनट, हर सेकेंड, हर दिन, हर महीना अउ हर बछर हर नवा होथे। जउन मनखे ला ए बात हर समझ आ जाथे वो हर अपन जिनगी के हर घड़ी के उपयोग करे बर सीख जाथे अउ जउन मनखे हर अतके बात ला नई समझ पावय ओखर तो जम्मों जिनगी हर अकारथ हो जाथे।
संत कबीर दास जी के घलाव कहना हवै-स्वांस-स्वांस में नाम ले, वृथा स्वांस मत खोय। ना जाने किस स्वांस का आवा होय न होय। संत कबीर के दोहा में जिनगी के सार समाय हवय। हमन अपन जिनगी के, अपन बुद्धि के, अपन बल के अउ अपन पद के कतका दुरूपयोग करथन एखर अंदाजा हमन ला नई राहय। कहे गै हावय कि सच्चाई हर करू होथे। संगवारी हो अगर हमन अपन पद के, अपन बल के दुरूपयोग नई करतेन जब दुनिया के हालत आज जइसे भी हावय ओखर ले कतको जादा सुघ्धर होतिस ए हर खच्चित बात आय।
अभी घलाव हमर तिर समय हावय अउ जिनगी हर हमनला रोज सचेत करथे फेर हमन अपन मन के छोड़ के दूसर के करथन एखरे सेती गड़बड़ी होथे अउ हमन दूसर के गलत बात ला ए पाय के सुनथन काबर कि हमर अंतस में कहूं न कहूं कुछ मातरा में भय समाय रइथे। संगवारी हो अब बेरा आ गै हावय अपन अंतस उपर विजय हासिल करे के। जब जागो तब सबेरा। हमन ला अपन संगे-संग देस अउ दुनिया ला सुघ्धर बनाए के हर संभव कोशिस करना चाही तभे हमर जिनगी हर सफल होही नई तो मरे के बेरा घलाव हमला गारी खाए बर परही एखर ले जादा दुख के बात हमर बर अउ का हो सकत हे अउ अगर हमन अपन सद्भाव ले अपन काम म सफलता हासिल कर सकेन तब एखर ले जादा सुख के बात हमर बर कोनो दूसर नई हो सकय। नवा बछर में नवा संकल्प लेके हमन अपन छत्तीसगढ़ महतारी के दुख अउ पीरा ला हरबो तभे तो हमर प्रदेस में अउ देस में खुशियाली आही। सियान बिना धियान नई होवय। तभे तो उॅखर सीख ला गठिया के धरे मा ही भलाई हावै। सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हावै।
रश्मि रामेश्वर गुप्ता
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अब्बड़ सुघ्घर बात हवै।