बेरोजगारी

दुलरवा रहिथन दई अऊ बबा के, जब तक रहिथन घर म।
जिनगी चलथे कतका मेहनत म, समझथन आके सहर म।।
चलाये बर अपन जिनगी ल, चपरासी तको बने बर परथे।
का करबे संगी परवार चलाये बर, जबरन आज पढ़े बर परथे।।

इंजीनियरिंग, डॉक्टरी करथे सबो, गाड़ा-गाड़ा पईसा ल देके।
पसीना के कमई लगाके ददा के, कागज के डिग्री ला लेथे।।
जम्मो ठन डिग्री ल लेके तको, टपरी घलो खोले बर परथे।
का करबे “राज” ल नौकरी बर, जबरन आज पढ़े बर परथे।।

लिख पढ़ के लईका मन ईहाॅ, बेरोजगारी म ठेलहा सब घूमत हे।
अऊ सबला पियाके देशी दारू, सरकार ह खुदे झूमत हे।।
चलाये बर जिनगी 12वीं पास ल, दारू के ठेका ले बर परथे।
का करबे संगी परवार चलाये बर, जबरन आज पढ़े बर परथे।।

घाम पियास म करथे किसानी, हमर दुनिया के भगवान ह।
तभो ले दारू महँगा बेचाथे, बोनस घलो नई पावे किसान ह।।
कभु-कभु त कर्जा के मारे, आत्महत्या घलो करे बर परथे।
का करबे संगी परवार चलाये बर, जबरन आज पढ़े बर परथे।।

पुष्पराज साहू
छुरा
(गरियाबंद)
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10 Thoughts to “बेरोजगारी”

  1. Nilesh

    Bahut badiya Pushpraj

    1. Pushpraj

      धन्यवाद भाई निलेश

  2. Yugratna J

    That’s a great message for our generation…

    1. Pushpraj

      धन्यवाद भाई मिन्टू

  3. Yugratna J

    You have some skill Pushpraj.
    .

    1. Pushpraj

      बहुत बहुत धन्यवाद भाई

  4. अब्बर सुघ्घर कहेस संगवारी

    1. Pushpraj

      बहुत बहुत धन्यवाद राज भैया

  5. dilip kumar diwan

    bahut sundar bhai…

    1. Pushpraj

      धन्यवाद भइया
      अइसनेच दुलार बनाये रहौ

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