दारू अउ नसा ह जब,
इंहा ले बंद हो जाही।
तभे, गांवे के लइका मन,
विवेकानंद हो पाही।।
जवानी आज भुलागे हे,
गुटका अउ खैनी मा।
देश कइसे चढ़ पाही?
बिकास के निंसैनी मा।।
जब गांवे ह गोकुल,
अउ ददा ह नंद हो जाही…
तभे गावें….
भ्रष्टाचार समागे हे,
जवानी के गगरी मा।
तभे लइका चले जाथे,
आतंक के पै-डगरी मा।।
देशभक्ति हो जाये तो,
परमानंद हो जाही….
तभे गांवे….
पढ़ादव पाठ नवा इनला,
देस बर आस हो जाही।
कोनों भगत इंदिरा तो
कोनो सुभाष हो जाही।।
नवा पीढ़ी म जब संस्कार,
सुगंध हो जाही…
तभे गांवे के………
दारू अउ…………
राम कुमार साहू
सिल्हाटी, कबीरधाम
मों.नं.9340434893
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Very nice ramkumar shahu ji aapki Kavita bahot achhi hai
साहू जी, गागर मं सागर