पानी हे अनमोल

भईया, बड़ कीमत के बोल।
पानी हे अनमोल॥
पानी ले हे ये जीवन।
नदिया, सागर, परबत, बन॥
पानी ले जिनगी हरियर हे।
खुसियाली घर-घर हे॥
कवन बताही येकर मोल।
पानी हे अनमोल॥
जीव जगत सबके अधार।
पानी ले ये सब संसार॥
हंसी गोठ सब के सार।
येकर महिमा अपरम्पार॥
बचावव बूंद-बूंद तौल।
पानी हे अनमोल॥
कटगे जंगल, कमती होगे बरसा।
जीव-जंतु मनखे के होगे दुरदसा॥
सही कर व येकर उपयोग।
जंगल, झाड़ी, परकीरति संजोग॥
चेत रे मनखे, आंखी खोल।
पानी हे अनमोल॥

आनंद तिवारी पौराणिक
महासमुंद

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3 Thoughts to “पानी हे अनमोल”

  1. पानी सचमुच अनमोल हे ये बात ल आदमी समझ जाय त धरती ह सरग बन जाय कवि रहीम घलो कहे हावय रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून लेकिन ओख्रर बाद भी ये कलजुगी मनखे मन सुधरत नई हे ,पानी बचाय बर कविता के माधयम ले बढिया संदेश् देव तेकर बर आप मन ला साधुवाद……

    1. ram kumar sahu mayaru

      pani jingani sangi baurav chani chani re

  2. shakuntala sharma

    आनन्द भाई ! बढिया लिखे हावस ग ! नीक लागिस हे । सिरतोन म जल हर जिनगी ए ।

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