छत्तीसगढी गीत अउ साहित्‍य

तीन बछर पहिली के बात हरे। में ह अपन एक झन संगी दुनों एक ठ परीक्छा देवाय खातिर गे रहेंव। परीक्छा सुरू होय म थोरिक समे रिहिस त थोरिक मन बहलाय बर अपन मुबाईल म छत्तीसगढी गीत सुने लागेंव। ओतका बेर में हा पारंपरिक ददरिया गीत सुनत रेहेंव। मोर मुबाईल के गीत ल सुनके वो संगी ह किथे-तोर गाना ल बंद कर यार!
में पूछेंव-काबर? वो हा किहिस-छत्तीसगढी गीत घटिया रथे। मत सुने कर।

जेन संगी के में ह बात करत हंव वो संगी ह मूलत:राजस्थानी हरे। फेर उंकर परवार ह तीस-चालीस बछर ले इंहे रथे। ओकर बात ल सुनके मोला रिस घलो लगिस अउ दुख घलो होइस। रिस ए बात बर आइस कि चालीस बछर ले इंहे के भुंइया म खाय कमाय के बाद घलो ओहा इंहा ले कोनो जुडाव नी रखय अउ दुख एकर सेती लगिस कि इंहा के मुठा भर अधकचरा कलाकार मन के सेती हमर बोली भाखा के गीत अउ संगीत के दुरदशा होवत हे। में ह अउ बात ल आगू नी बढाके ओकर ले थोरिक दूरिहा म बइठके गाना सुनेंव।



ओकर बाद में सोचेंव कि हमर छत्तीसगढ़ म सुवा, करमा, ददरिया, भरथरी, पंडवानी जइसन पारंपरिक चिन्हारी तो हवय संगे संग हमर राज के साहितकार पं.सुंदरलाल शर्मा, द्वारिका प्रसाद तिवारी ‘विप्र’, संत पवन दीवान, डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा, लक्ष्मण मस्तूरिहा, मुकुंद कौशल, हरि ठाकुर, पं.दानेश्वर शर्मा, दाऊ मुरली चंद्राकर अउ पं.रविशंकर शुक्ल के लिखे गीत के खजाना तो घलो हवय। इंखर लिखे गीत के बारे म जानकारी के परसार नी होय के सेती इंहा के मनखे मन छत्तीसगढी साहित गीत के बारे म नी जानय अउ आज काली के दू चार ठन अधकचरा गीत ल सुनके छत्तीसगढी गीत ल घटिया कहि देथें।

सबले पहिली छत्तीसगढ़ राज के चिन्हारी गीत अरपा पैरी के धार…..के बात करथन जेला डॉ.नरेन्द्र देव वर्मा जी ह लिखे हवय। कभू सुन लव सुघ्घर लागथे। वइसे तो ए गीत ल कतको गायक-गायिका मन गावत रिथे; फेर श्रीमती ममता चंद्राकर के अवाज म ये गाना के मिठास ह बड जाथे। छत्तीसगढ़ के गांधी ‘पं. सुंदर लाल शर्मा’ के लिखे “छत्तीसगढी-दानलीला” ह लक्ष्मण मस्तूरिहा अउ तीजन पटेल के अवाज म सीडी म मिलत हवय। यहू ल सुनके देखव!

छत्तीसगढिया गजलकार मुकुंद कौशल के गीत ह एक जमाना म छत्तीसगढी लोक सांस्कृतिक मंच ‘नवा-बिहान’ म केदार यादव के अवाज म धूम मचाय रिहिसे। उंकर गीत मोर भाखा संग दया मया के, धरले कुदारी ग किसान, लीम के डंगाली चढे हे करेला के नार…. आजो पसंद करे जाथे। यहू ह सीडी म मिलत हवय। लोक सांस्कृतिक मंच चंदैनी गोंदा म इंकर लिखे गीत “झूमर झूमर के नाचव रे संगी” बड नीक लागथे।

स्व.हरि ठाकुर छत्तीसगढ़ के नामही इतिहासकार अउ साहितकार हरे। उंकर लिखे गीत ल घर-द्वार फिलिम म मो.रफी अउ सुमन कल्याणपुर ह अपन अवाज दे रहिन हे। ए फिलिम के सुन-सुन मोर मया पीरा के संगवारी, गोंदा फुलगे मोर राजा ल यू-ट्यूब म सुने जा सकत हे। हरि ठाकुर के कविता “सुरता के चंदन” ल श्रीमती ममता चंद्राकर के अवाज म सुने जा सकथे। जे हा “सुरता के चंदन” सी डी एल्बम म हवय। एला साहित ले भरे एल्बम कहे जा सकथे। काबर कि इही म संत पवन दीवान के रचना लहर-लहर लहराये रे मोर महानदी के पानी घलो मिथलेश साहू के स्वर म हवे। एकर अलावा दाऊ मुरली चंद्राकर के रचना ए छैला बाबू अउ तिरिया जनम जी के काल घलो इहीच गीत संगरह म मिल जाथे।

श्रीमती कविता वासनिक के स्वर म पं.द्वारिका प्रसाद तिवारी “विप्र” के लिखे गीत तोला देखे रेहेंव ग धमनी के हाट म बोइर तरी सीडी म मिल जथे। पं.रविशंकर शुक्ल के रचना “चंदैनी-गोंदा” घलो कविता जी के स्वर म बड नीक लागथे। इंकरे संगी मन के स्वर म संत पवन दीवान के रचना तोर धरती तोर माटी अउ स्व.चतुर्भुज देवांगन के रचना माटी होही तोर चोला ह गजब निक हवय। ए जम्मो गीत ह लोक सांस्कृतिक मंच चंदैनी गोंदा के मंच म सुघरई ल बढा देथे।



पं.दानेश्वर शर्मा के लिखे गीत ल बैतलराम साहू अउ उंकर संगी मन के अवाज म सुने जा सकथे। फेर पंडित जी के रचना ल उंकरे अवाज म सुनना बड गुरतुर लागथे। उंकर लिखे “तुलसी के कहिनी” ह उंकर खुद के स्वर म सीडी म मिलत हवय।
लक्ष्मण मस्तूरिहा छत्तीसगढ़ के नामही कवि अउ गायक हरंय। इंकर लिखे गीत के एक लंबा सूची हे जे हा छत्तीसगढ़ म आजो गुनगुनाय जाथे जेमा मैं बंदत हंव दिन रात ओ, मोर संग चलव रे, पता ले जा गाडीवाला, मन डोले रे मांघ फागुनवा, बखरी के तुमानार, पुन्नी के चंदा, आओ मन भजो, में छत्तीसगढिया अंव रे परमुख गीत हरे। ए जम्मो गीत सीडी म मिलत हवय।

ए तो मोर जानकारी नान्हे मति मुताबिक कुछेक गीत के जानकारी हवय; जे छत्तीसगढ़ के मान बढाथे। एकर अलावा, स्व.कोदूराम दलित, स्व.सुशील यदु, स्व.बद्रीविशाल परमानंद, स्व.धुरवा राम मरकाम, स्व. स्व.पंचराम मिर्झा, मदन शर्मा, पी.सी.लाल यादव अउ डॉ जीवन यदु ‘राही’ जइसे कतको रचनाकार अउ गायक मन छत्तीसगढ महतारी के मान बढाइस हवय। स्व.गंगाराम शिवारे के रचना सास गारी देथे ल हिन्दी फिलीम दिल्ली6 अउ चोला माटी के राम ल पीपली लाइव फिलीम म बउरेगे हवय। स्व.सुशील यदु के लिखे गीत फूल हांसन लागे ओ दारी ह कान म मधुरस घोर देथे।

कुछेक कलाकार मन के सेती जम्मो कला जगत अउ छत्तीसगढी गीत ल बदनाम करना सही नोहय। मोर बिनती हे जम्मो रचनाकार अउ कलाकार मन से कि ओमन स्तरीय गीत लिखय अउ गावय। जेकर से छत्तीसगढी गीत बदनाम झन होवय। अउ कोनो छत्तीसगढी गीत ऊपर अंगुरी झन उठावय।

रीझे यादव
टेंगनाबासा (छुरा) 493996
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