बम्लेस्वरी बल दान दे, मयं बालक कमजोर।
तोर किरपा मिल जाय तो, जिनगी होय अँजोर।। ओ मईया ……
दंतेस्वरी के दुवार मा, पूरन मनोरथ होय।
सुन के मयं चले आय हौं, मन-बिस्वास सँजोय।। ओ मईया ……
अरज करवँ माँ सारदा, दे शक्ति के दान।
तयं माता संसार के, हम सब तोर संतान।। ओ मईया ……
सुमिरत हौं समलेश्वरी, संकट काट समूल।
तोर चरण अर्पण करवँ, मन सरधा के फूल।। ओ मईया ……
माँ अम्बे झुलना झुलय, अमरैय्या के छाँव।
सरधा भक्ति माँ झूम के, झुला झुलावे गाँव।। ओ मईया ……
नगर डगर,हर गाँव गली, नवराती के धूम।
कोन्हों गावयं आरती, कोन्हों नाचे झूम।। ओ मईया ……
गाँव शहर नवराती मा, मंडप-मंच सजाय।
नर-नारी सरधापूर्वक, मूरत तोर मड़ायं।। ओ मईया ……
गली गली झिलमिल झालर, सरधा भक्ति के गीत।
तीरथ जइसे चारों मुड़ा, लागय परम पुनीत।। ओ मईया ……
झाँकी कहूँ सजाय हें, कहूँ मड़ई के जोर।
गली-गली गमके गूंजै, जय माता के सोर।। ओ मईया ……
अरुण कुमार निगम
सरलग …
जस-गीत के भारी महिमा हावै । सुघ्घर गीत ।