राज काज म लाबोन

चलव धधकाबो भाखा के आगी ल, दउड़ समर म कूद जाबों रे
गुरतुर मीठ छतीसगढ़ी भाखा ल्, हमर राजकाज म लाबोंन रे

हमर राज म दूसर के भाखा, होवत हे छतीसगढ़ी के अपमान
दूसर के भाखा जबर मोटहा, दूबर पातर छतीसगढ़ी काडी समान
अपन भाखा के बढाबोन मान, चलव जुरमिल सुनता बधाबोन रे
गुरतुर मीठ छतीसगढ़ी भाखा ल, हमर राजकाज म लाबोंन रे

देवनागरी ले उपजे बाढ़हे, अब छाती ताने राजा ठाड़हे हे
दूसर ल मया देवईया हमर भाखा, आज अपने विपत म माड़हे हे
अपन भाखा ल देवाबोन पहिचान, चलव जुरमिल आघु आबोन रे
गुरतुर मीठ छतीसगढ़ी भाखा ल, हमर राजकाज म लाबोंन रे

कला के बदउलत कलाकारी मन, छतीसगढ़ के नाव जगाए हे
हमर बोली भाखा के रंग ह, चारो मुड़ा हरियर पाना हरियाय हे
इही बोली भाखा के रंग ल, जुरमिल फेर बगरबोन रे
गुरतुर मीठ छतीसगढ़ी भाखा ल, हमर राजकाज म लाबोंन रे

दीपक कुमार साहू
मोहदी मगरलोड
जिला धमतरी
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