आगे आगे नवा साल

आगे आगे नवा साल,आगे आगे नवा साल।
डारा पाना गीत गाये,पुरवाही मा हाल।

पबरित महीना हे,एक्कम चैत अँजोरी के।
दिखे चक ले भुइँया हा,रंग लगे हे होरी के।
माता रानी आये हे,रिगबिग बरत हे जोती।
घन्टा शंख बाजत हे,संझा बिहना होती।
मुख मा जयकार हवे ,तिलक हवे भाल।
आगे आगे नवा साल,आगे आगे नवा साल।

नवा नवा पाना मा,रूख राई नाचत हे।
परसा फुलके लाली,रहिरहि के हाँसत हे।
कउहा अउ मउहा हा इत्तर लगाये हे।
आमा के मौर मा छोट फर आये हे।
कोयली नाचत गावत हे,लहसे आमा डाल।
आगे आगे नवा साल,आगे आगे नवा साल।

सोन फूल्ली बेंच बम्भरी,पयरी बेंचे चॉदी के।
मउहा परसा पाना म, पतरी बनगे मांदी के।
अमली कोकवानी हा,सबला ललचावत हे।
छेल्ला होके गरूगाय,मनके चारा खावत हे।
लइका मन नाचत हे,झनपूछ हाल चाल।
आगे आगे नवा सालआगे आगे नवा साल।

खेत ले घर आगे हे,चना गहूँ सरसो अरसी।
गर्मी थोर जनावत हे,बेंचावत हे करसी।
साग भाजी बारी म,निकलत हे जमके।
दीया रिगबिग बरत हे,गली खोर चमके।
बरतिया मन नाचत हे,दफड़ा दमऊ के ताल।
आगे आगे नवा साल,आगे आगे नवा साल।

जीतेन्द्र वर्मा”खैरझिटिया”
बाल्को (कोरबा)
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