ए दे मूड़ ला धरके रोवत हे किसान।
कइसे धोखा दे हे मउसम बईमान।।
ए दे मूड़ ला धरके………………..
झमाझम देख तो बिजली हा चमके।
कहुँ-कहुँ करा पानी बरसतहे जमके।।
खेती खार नास होगे देखव भगवान।
ए दे मूड़ ला धरके…………………
करजा नथाय हावय दुख होवय भारी।
गाँव छोड़ शहर कोती जाय सँगवारी।।
कतका झेल सहय डोलत हे ईमान।
ए दे मूड़ ला धरके………………….
सुन भइया सुन लव बन जावव सहाई।
ढाढस बँधावौ संगी झन होय करलाई।।
सपना देखय सुख के होवय गा बिहान।
ए दे मूड़ ला धरके…………………..
बोधन राम निषाद राज
सहसपुर लोहारा,कबीरधाम (छ.ग.)
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