Categories
कविता

आगे सन् अट्ठारा : सार छंद

हाँसव गावव झुम के नाचव,
आगे सन् अट्ठारा।
मया रंग मा रंगव संगी,
सबला झारा-झारा।1

मया बसे हे नस नस सबके,
हावय प्रान पियारा।
अपन पराया मा झन पर तँय,
जुरमिल करव गुजारा।2

छोंड़ सुवारथ के बेमारी,
बाँट मया के चारा।
रंग रूप होथे चरदिनिया,
जिनगी कहाँ दुबारा।3

मोलभाव हे करना बिरथा,
आगर कभू आजारा।
मया दया हा सबले सुग्घर,
हावय जगत अधारा।4

मया बाढ़थे बड़ बाँटे मा,
कतको कर बँटवारा।
गुरतुर बोली हिरदे राखव,
बनथे अमरित धारा।5

हाँसव गावव झुम के नाचव,
आगे सन् अट्ठारा।
मया रंग मा रंगव संगी,
सबला झारा-झारा।।

अमित सिंगारपुरिया
शिक्षक
भाटापारा (छ.ग)
संपर्क 9753322055

One reply on “आगे सन् अट्ठारा : सार छंद”

amit singarpuriasays:

आजारा ल अजारा पढव।

Comments are closed.