एक दौर था जब छत्तीसगढ़ में रेडियो से यह गीत बजता था तो लोग झूम उठते थे और बरबस इस गीत को गुनगुनाने लगते थे। छत्तीसगढ़ी लोक सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आरंभिक दौर में ददरिया, करमा और सुवा गीत जैसे पारंपरिक लोक छंदों के बीच अपनी भाषा में भारत वंदना गीत सुनकर आह्लादित होना छत्तीसगढि़यों के लिए गर्व की बात थी। इस लोकप्रिय और कालजयी गीत के गायक प्रीतम साहू बताते हैं कि वे पहले आर्केस्ट्रा में हिन्दी फिल्मी गीत गाते थे। उनकी आवाज से प्रभावित होकर सोनहा बिहान के स्वप्नदृष्टा…
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छत्तीसगढ़ी उपन्यासों में सामाजिक चेतना
शोधकर्ता: सेमसन, अशोक कुमार गाइड : शर्मा, शीला कीवर्ड: छत्तीसगढ़ी चेतना पूर्ण तिथि: 2012 विश्वविद्यालय: पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ी उपन्यासों में सामाजिक चेतना अनुक्रमणिका प्राक्कथन अध्याय 01 छत्तीसगढ़ राज्य : एक परिचय 1.1 प्रस्तावना 1.2 छत्तीसगढ़ राज्य का उदय 1.3. स्थिति एवं विस्तार 1.4. सामाजिक परिवेश 1.5. सांस्कृतिक विरासत 1.6. ऐतिहासिक धरोहर 1.7 छत्तीसगढ़ी लोकभाषा और लोक साहित्य 1.8 छत्तीसगढ़ी का अभ्युदय एवं भौगोलिक परिसीमा 1.9 छत्तीसगढ़ का नामकरण 1.10 छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक भूमि 1.11 छत्तीसगढ़ी साहित्य का सामान्य परिचय 1.12 छत्तीसगढ़ी लोकसाहित्य 1.13 संदर्भग्रंथ अध्याय 02 उपन्यास 2.1…
Read Moreमहादेव के बिहाव खण्ड काव्य के अंश
शिव सिर जटा गंग थिर कइसे, सोभा गुनत आय मन अइसे। निर्मल शुद्ध पुन्नी चंदा पर गुंडेर करिया नाग मनीधर।। दुनो बांह अउ मुरूवा उपर, लपटे सातो रंग के विषधर। जापर इन्द्र घनुक दून बाजू, शिव पहिरे ये सुरग्घर साजू ।। नीलकण्ठ गर उज्जर भाव, मन गूनत अइसे सरसाव। भौरां बइठ शंख पर भूले, तो थोरक मुहर मन झूले ।। सेत नाग शिव तन मिले, जाँय नि चिटकों जान। जीभ दुफनिया जब निकारे, तभे होय पहिचान ।। पहिरे बधवा के खाल समेटे, तेकर उपर सांप लपेटे। आंखी तिसर कपार उपर…
Read Moreहमर देस : जौन देस में रहिथन भैया, ये ला कहिथन भारत देस
जौन देस में रहिथन भैया, ये ला कहिथन भारत देस, मति अनुसार सुनाथंव तुमला, येकर कछु सुंदर सन्देस। उत्ती बाजू जगन्नाथ हैं, बुड़ती में दुवारिका नाथ, बदरी धाम भंडार बिराजे, मुकुट हिमालय जेकर माथ। सोझे सागर पांव धोत हैं, रकसहूं रामेश्वर तीर, बंजर झाडी़ फूल चढ़ावें, कोयल बिनय करे गंभीर। जो ये देह हमार बने है, त्यारे अन्न इहें के जॉन, लंह हमार इहें के पानी, हवा इहें के प्रान संमान। रोंवां रोंवा पोर पोर ले, कहं तक कहाँ बात समझाय, थोरे को नइये हमर कहेबर, सब्बो ये भारत के…
Read Moreचंदैनी गोंदा के 14 गीत
शीर्षक गीत – रविशंकर शुक्ल घानी मुनी घोर दे – रविशंकर शुक्ल छन्नर छन्नर पइरी बाजे – कोदूराम ‘दलित’ मइके के साध – रामरतन सारथी झिलमिल दिया बुता देबे – श्री प्यारे लाल गुप्त घमनी हाट – द्वारिका प्रसाद तिवारी ‘विप्र’ गाँव अभी दुरिहा हे – नारायणलाल परमार बसदेव गीत – भगवती सेन चल सहर जातेंन – हेमनाथ यदु तोर धरती तोर माटी – पवन दीवान माटी होही तोर चोला – चतुर्भुज देवांगन ‘देव’ चलो जाबो रे भाई – रामकैलाश तिवारी मोला जान दे संगवारी – रामेश्वर वैष्णव चलो बहिनी…
Read Moreधान कटोरा रीता होगे
धान कटोरा रीता होगे कहां होही थिरबांह है। छत्तीसगढ़ के पावन भूइया बनगे चारागाह है। बाहिर ले गोल्लर मन के आके, ओइल गइन छत्तीसगढ़ मा। रौंद रौंद के गौंदन कर दिस, भूकरत हे छत्तीसगढ़ मा। खेत उजरगे जमीन बेचागे खुलिस मिल कारख़ाना हे। छत्तीसगढ़ के किस्मत मा दर दर ठोकर खाना हे । हमर खनिज ला चोरा चोरा के डोहारत हे चोरहा मन। जंगल ल सब कांट काटके भरे तिजोरी ढोरहा मन। इंहा के पइसा हा बंट जाथे दिल्ली अउ भोपाल हे। जुर मिलके सब निछत हावै छतीसगढ़ के खाल…
Read Moreहमर देस राज म शिक्षक के महत्तम
कोनो भी देस के बिकास ह सिछक के हाथ म होथे काबर के वो ह रास्ट्र के निरमान करता होथे। वो ह देस के भबिस्य कहे जाने वाला लईकरन मन ल अपन हर गियान ल दे के पढ़ईया लईकरन मन ल ये काबिल बनाये के कोसिस करथे के वो ह देस के बिकास के खातिर कोनो भी छेत्र म सहयोगी बन सकय। हर मनखे के जीनगी म गुरू के बिसेस हमत्तम हावय। हमर देस राज म गुरू अउ सिस्य के परंपरा सनातन काल ले चले आवत हे। हर देस म…
Read Moreगणेश पूजा अउ राष्ट्र भक्ति
भारत के आजादी मा गणेश भगवान अइसे तो भगवान गणेश के पूजा आदिकाल से होवत आत हे।कोनो भी पूजा, तिहार बार के शुरुआत गणेश के पूजा ले होथय।सनातन अउ हिन्दू रीति रिवाज मा गणेश ला प्रथम पूज्य माने गय हे। गौरी गणेश के पूजा बिन कोनो पूजा ला सफल नइ माने जाय। हमर देश मा सबले जादा गणेश पूजा महाराष्ट्र प्रांत मा होथय। इहा हर घर,हर जाति धरम के मनखे गणेश मा आस्था राख के पूजा पाठ करथे। गणेश पूजा ला धार्मिक परब ले राष्ट्रीय परब बनाय के श्रेय हमर…
Read Moreतीजा तिहार
रद्दा जोहत हे बहिनी मन, हमरो लेवइया आवत होही। मोटरा मा धरके ठेठरी खुरमी, तीजा के रोटी लावत होही।। भाई आही तीजा लेगे बर, पारा भर मा रोटी बाँटबोन। सब ला बताबो आरा पारा, हम तो अब तीजा जाबोन।। घुम-घुम के पारा परोस में, करू भात ला खाबोन। उपास रहिबो पति उमर बर, सुग्घर आसिस पाबोन।। फरहार करबो ठेठरी खुरमी, कतरा पकवान बनाके।। मया के गोठियाबोन गोठ, जम्मों बहिनी जुरियाके। रंग बिरंगी तीजा के लुगरा, भाई मन कर लेवाबोन। अइसन सुग्घर ढ़ंग ले संगी, तीजा तिहार ला मनाबोन।। गोकुल राम…
Read Moreतीजा पोरा
तीजा पोरा के दिन ह आगे , सबो बहिनी सकलावत हे। भीतरी में खुसर के संगी , ठेठरी खुरमी बनावत हे।। अब्बड़ दिन म मिले हन कहिके, हास हास के गोठियावत हे। संगी साथी सबो झन, अपन अपन किस्सा सुनावत हे।। भाई बहिनी सबो मिलके , घुमे के प्लान बनावत हे। पिक्चर देखे ला जाबो कहिके, लईका मन चिल्लावत हे।। नवा नवा लुगरा ला , सबोझन लेवावत हे । हाँस हाँस के सबोझन, एक दूसर ल देखावत हे।। प्रिया देवांगन “प्रियू” पंडरिया (कबीरधाम) छत्तीसगढ़
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