भिंसरहा के बात आय चिरइ चुरगुन मन चोंहचीव चोंहचीव करे लगे रहिन…अँजोरी ह जउनी हाथ म मोखारी अउ लोटा ल धरे डेरी हाथ म चूँदी ल छुवत खजुवावत पउठे पउठा रेंगत जात हे धसर धसर।जाते जात ठोठक गे खड़ा हो के अंदाजथे त देखथे आघू डहर ले एक हाथ म डोल्ची अउ एक हाँथ म बोहे घघरा ल थाम्हे दू परानी मुहाचाही गोठियावत आवत रहँय…दसे हाथ बाँचे रहिस होही सतवंतिन दीदी के मुँह माथा झक गय,जोहरीन दीदी के का पूछबे मुँह ला मटका मटका के गोठियई राहय कउ घघरा म…
Read MoreAuthor: admin
तीजा – पोरा के तिहार
छत्तीसगढिया सब ले बढ़िया । ये कहावत ह सिरतोन मा सोला आना सहीं हे । इंहा के मनखे मन ह बहुत सीधा साधा अउ सरल विचार के हवे। हमेशा एक दूसर के सहयोग करथे अउ मिलजुल के रहिथे । कुछु भी तिहार बार होय इंहा के मनखे मन मिलजुल के एके संग मनाथे । छत्तीसगढ़ ह मुख्य रुप ले कृषि प्रधान राज्य हरे । इंहा के मनखे मन खेती किसानी के उपर जादा निर्भर हे । समय – समय मा किसान मन ह अपन खुशी ल जाहिर करे बर बहुत…
Read Moreधरसींवा के शिव मन्दिर
चरौदा, धरसींवा रायपुर में स्थित शिव मन्दिर के इतिहास के बारे आप अगर गाँव सियान मन ल पूछहू त झटकुन ऊँखर जुबान म पहिली नाम बाबू खाँ के आथे, हाँ ये उही बाबू खाँ आए जब 45 साल पहिली जब पूरा देश आजादी के प्रभात फेरी अऊ जश्न मनाए म डूबे रिहिस त बाबू खाँ अपन मुस्लिम परिवार समेत तहज़ीब के नवा इबारत गढ़े म व्यस्त रिहिस | रायपुर से 20 किमी दूर ग्राम चरोदा म तब बाबू खाँ सरपंच रिहिस अऊ गाँव वाले मन संग बहुत ही मिलनसार रिहिस…
Read Moreसुमिरव तोर जवानी ल
पहिली सुमिरव मोर घर के मइयां, माथ नवावव धन धन मोर भुइयां I नदियाँ, नरवा, तरिया ल सुमिरव, मैना के गुरतुर बोली हे I मिश्री कस तोर हँसी ठिठोली ल, महर महर माहकत निक बोली हे I डीह,डोगरी,पहार ल सुमिरव, गावव करमा ददरिया I सुवा,पंथी सन ताल मिलालव, जुर मिर के सबो खरतरिहा I जंगल झाड़ी बन ल सुमिरव, पंछी परेवना के मन ल सुमिरव I पुरखा के बनाय रद्दा मा चलबो नवा नवा फेर कहानी ल गढ़बो I पानी ल सुमिरव, दानी ल सुमिरव, बलिदानी तोर कहानी ल सुमिरव…
Read Moreछत्तीसगढ़ी बाल गीत
सपना कहाँ-कहाँ ले आथे सपना। झुलना घलो झुलाथे सपना। छीन म ओ ह पहाड़ चढ़ाथे, नदिया मा तँऊराथे सपना। जंगल -झाड़ी म किंजारथे, परी देस ले जा जाथे सपना। नाता-रिस्ता के घर ले जा के, सब संग भेंट करथे सपना। कभू हँसाथे बात-बात मा, कभू – कभू रोवाथे सपना। कभू ये हर नइ होवै सच, बस, हमला भरमाथे सपन। -बलदाऊ राम साहू
Read Moreआठे कन्हैया
हमर भारत देस ह देवता मन के भुइंया हे येखर कोना-कोना पुण्य भुंईया हेे। इहां पिरीथिवी लोक म जब-जब धरम के हानी होवत गईस तब-तब भगवान ह ये लोक म अवतार लिहीस। भगवान सिरी किसन जी ह अरजुन ल कुरूक्षेत्र म भागवत गीता के अध्याय 4 के स्लोक 7 अउ 8 म उपदेस देवत कईथे के- यदा-यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।। 4-7।। परित्राणाय साधूनामं विनाशाय च दुष्कृताम। धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे-युगे।। 4-8।। येखर मायने ये हावय के भगवान किसन कईथे के जब-जब भारत म धरत के हानि हो…
Read Moreप्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – कहावतें
छत्तीसगढ़ी कहावतें (हाना / लोकोक्तियाँ) :- कहावत का शाब्दिक अर्थ है ‘लोक की उक्ति’। इस अर्थ से कहावत का क्षेत्र व्यापक हो जाता है, जिसे हिन्दी साहित्य कोश में इस प्रकार व्यक्त किया गया है “लोकोक्ति में कहावतें सम्मिलित हैं, लोकोक्ति की सीमा में पहेलियाँ भी आ जाती हैं।’ परन्तु आज ‘लोकोक्ति’ शब्द ‘कहावत’ या प्रोवर्ष के पर्याय के रूप में रूढ हो चला है। इसके अंतर्गत पहेलियाँ नहीं रखी जाती (यदु: छत्तीसगढ़ी कहावत कोश: 2000-7)। छत्तीसगढ़ी की बहुप्रचलित कहावतें इस प्रकार हैं – अँधरा पादै भैरा जोहारै (अंधा पादे,…
Read Moreप्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – मुहावरे
छत्तीसगढ़ी मुहावरे एवं कहावतें idioms and phrase – छत्तीसगढ़ी में ‘मुहावरा’ को ‘मुखरहा’ और ‘कहावत’ या ‘लोकोक्ति’ को ‘हाना’ कहते हैं। वार्तालाप में वक्ता द्वारा अपनी प्रस्तुति को अधिक प्रभावी बनाने के लिए मुखरहा और हाना का बखूबी प्रयोग किया जाता है। बहुप्रचलित मुखरहा और हाना निम्नानुसार हैं – छत्तीसगढ़ी मुहावरे (मुखरहा) – ‘मुहावरा’ ऐसी पद-रचना है, जो अपने सामान्य अर्थ से भिन्न किसी अन्य अर्थ में रूढ़ हो गया हो। छत्तीसगढ़ी के कुछ मुहावरे मानक हिंदी के मुहावरों के बिलकुल समान हैं, जैसे- ‘अति करना’ लेकिन कई बार मानक…
Read Moreप्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – विभक्तियाँ
छत्तीसगढी की विभक्तियाँ :- छत्तीसगढ़ी में विभक्तियों के लिए निम्न प्रकार शब्द प्रयुक्त होते हैं – मैं हर (मैं ने) हमन (हम ने ) ओहर (उसने) ओमन (उन्होंने /उन लोगों ने) मोला (मुझे / मुझ को) हमन ला (हमें / हम लोगों को) तोला (तुम्हें / तुम को) तुमन ला (आप लोगों को) ओला (उसे / उसको) ओमन ला (उन्हें / उन लोगों को) मोर ले (मुझ से) हमन ले (हम से) तोर ले (तुम से) तुमन ले ले (आप लोगों से) ओकर ले (उस से) ओकर मन ले (उन…
Read Moreप्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – अव्यय
छत्तीसगढ़ी के अव्यय – समुच्चय बोधक अव्यय – संयोजक – अउ, अउर मैं अउ तैं एके संग रहिबोन। वियोजक – कि, ते रामू जाहि कि तैं जाबे। विरोधदर्शक = फेर, लेकिन संग म लेग जा फेर देखे रहिबे। परिणतिवाचक = तो, ते, ते पाय के, धन बुधारू बकिस ते पाय के झगरा होगे। दिन-रात कमइस तभे तो पइसा सकेल पइस अउ अपन बेटी के बिहाव करिस। आश्रय सूचक = जे, काबर, कि, जानौ (जाना-माना), मानौ (जाने-माने) तैं ओला काबर बके होबे। अइसन गोठियात हस जाना-माना तैं राजा भोज अस अउ…
Read More